‘सांस्कृतिक शिक्षा और सी.सी.आर.टी. की भूमिका’ विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला संपन्न

सांस्कृतिक शिक्षा और सी.सी.आर.टी. की भूमिका

मुंबई: कार्तिका हाई स्कूल एवं ज्यूनियर काॅलेज, कुर्ला में ‘सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केंद्र‘ दिल्ली के तत्वावधान में ‘सांस्कृतिक शिक्षा और सी.सी.आर.टी. की भूमिका‘ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुई। इस कार्यशाला में मुंबई जिला के 40 शिक्षकों ने सहभाग लिया।

इस कार्यशाला का उद्देश्य छात्रों को विद्यालयीन विषयों को सिखाते समय पाठ में आए सांस्कृतिक मूल्यों का संबंध सांस्कृतिक कलाओं के साथ करते हुए उसका महत्व समझाना, जिससे आधुनिक पीढ़ी को अपनी संस्कृति और सभ्यताओं का ज्ञान हो। विशेष बात यह है कि विद्यालयीन पाठ्यक्रम को बिना परिवर्तित किए इस कार्य को आसानी से छात्रों तक पहुँचाया जा सकता है। कार्यक्रम का उद्घाटन करते समय भारत एज्यूकेशन सोसायटी की सी.ई.ओ. शीला नायर ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य तभी साध्य होगा, जब कार्यशाला में प्राप्त जानकारी का उपयोग शिक्षक अपने-अपने विद्यालयों में करेंगे।सांस्कृतिक शिक्षा और सी.सी.आर.टी. की भूमिका

कार्यशाला में उत्तर विभाग के शिक्षण उप निरीक्षक श्री. चौधरी, भारत एज्यूकेशन सोसायटी के अध्यक्ष गोपाकुमार नायर, मुख्याध्यापिका बीना लोबो, रामचंद्रन नायर, रामकृष्णन नायर, राहुल गांधले, यशवंत किंजळे, विष्णू पाटील, वंदना मुळे, राज बोराटे, सुहास महाजन आदि ने कार्यशाला में अपना कृतिपूर्ण योगदान दिया। सी.सी.आर.टी.द्वारा नियुक्त ‘जिला स्रोत व्यक्ति’ (डी.आर.पी.) विनय कुमार सिंह ने तीन दिवसीय कार्यक्रम का संचालन करते हुए इसके अंतर्गत भरतनाट्यम्, काइकोट्टीकली इन शास्त्रीय नृत्य प्रकारों का प्रस्तुतीकरण, तबला वाद्ययंत्र का प्रस्तुतीकरण, महाराष्ट्र का सांस्कृतिक जीवन, हस्तकला, योग शिविर, कैलीग्राफी,रंगो का सांस्कृतिक महत्व और ‘विद्यालय में सांस्कृतिक शिक्षा‘ इन विषयों पर विशेषज्ञों से व्याख्यान प्रस्तुत करवाया। समापन कार्यक्रम में प्रशिक्षणार्थी शिक्षकों के प्रतिनिधि संजय गवांदे ने कार्यशाला के नियोजन और व्यवस्था के लिए मैनेजमेंट और मुख्याध्यापिका की प्रशंसा की।

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