पंचगनी में संपन्न हुआ द्वि-दिवसीय ‘अन्तर्विद्यालयीन हिंदी वक्तृत्व स्पर्धा’ और ‘भाषाई संगम’

हिंदुस्तानी प्रचार सभा

हिंदुस्तानी प्रचार सभा, मुंबई और सेंट पीटर्स संस्थान पंचगनी के संयुक्त तत्वावधान में द्वि-दिवसीय सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रम पंचगनी में 12 जनवरी और 13 जनवरी को संपन्न हुआ।

रोमांचक थी अन्तर्विद्यालयीन हिंदी वक्तृत्व स्पर्धा:

आयोजन के पहले दिन एक अन्तर्विद्यालयीन हिंदी वक्तृत्व स्पर्धा आयोजित की गई थी। इस प्रतियोगिता में महाबलेश्वर, पंचगनी और वाई के दर्जनों विद्यालयों ने अपनी हिस्सेदारी दर्ज़ कराई। प्रतियोगिता का विषय था – “क्या आतंकवाद का सामना अहिंसात्मक तरीके से किया जा सकता है ?” इस विषय पर लगभग 27 प्रतियोगियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। स्पर्धा में संजीवन विद्यालय पंचगनी के तन्मय मेहता को प्रथम पुरस्कार, भारती विद्यापीठ द्वारा संचालित गॉड्स वैली विद्यालय के शिवाजी कारले को द्वितीय, सेंट पीटर्स स्कूल पंचगनी के आयुष पाठक को तृतीय पुरस्कार मिला। प्रोत्साहन पुरस्कार प्राप्त करने वालों में न्यू एरा हाई स्कूल की छात्रा तनुश्री मोंगिया और विज़डम हाई स्कूल दांडेघर की छात्रा प्रणाली इथापे थीं। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में दिशा अकादमी के प्रधानाचार्य ताज़ुद्दीन सैयद, सेंट पीटर्स पंचगनी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक सुनील माने और हिंदुस्तानी प्रचार सभा के समन्वयक अधिकारी राकेश त्रिपाठी शामिल थे।

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हिंदुस्तानी प्रचार सभा के ट्रस्टी और मानद सचिव फ़िरोज़ पैच, सेंट पीटर्स स्कूल पंचगनी के प्राचार्य डॉ. विल्फ्रेड नरोन्हा, व्यंग्यकार संजीव निगम तथा गुलुम्ब संस्थान की ट्रस्टी और प्राचार्या के करकमलों द्वारा छात्रों एवं छात्राओं को पुरस्कार वितरित किए गए। सभा का परिचय संजीव निगम ने और कार्यक्रम की प्रस्ताविकी हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. जितेंद्र पाण्डेय ने दी। कार्यक्रम का विधिवत सूत्र संचालन सुनील माने, चंद्रवदन अढाव और  राम शेलके ने किया। इस अवसर पर डॉ. विल्फ्रेड नरोन्हा ने बताया, “आतंकवाद की त्रासदी को हमने भुगता है। मैं स्वयं आतंकवाद से पीड़ित हूँ। प्रतियोगियों ने विषय के साथ पूरा न्याय किया है। सबने अपनी क्षमता के अनुसार अपनी बात कही। मैं सभी प्रतियोगियों को बधाई देता हूँ।” हिंदुस्तानी प्रचार सभा के ट्रस्टी फ़िरोज़ पैच ने अपने संबोधन में छात्रों को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। आमंत्रित विद्यालयों के प्राचार्यों, शिक्षकों, प्रतियोगियों तथा श्रोताओं के प्रति प्रिया पायस ने आभार व्यक्त किया।

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अपने आप में बेजोड़ था ‘भाषाई संगम’-

आयोजन के दूसरे दिन विद्यालय के सभागृह में ‘भाषाई संगम‘ में भारतीय और विदेशी भाषाओं के प्रतिनिधियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इनमें साहित्यकार, शिक्षक, पत्रकार और व्यवसाय से जुड़े गणमान्यों ने शिरकत की। मैथ्यू स्कारिया ने प्रार्थना के द्वारा ‘भाषाई संगम’ की शुरुवात करवाई। कार्यक्रम के प्रारंभ में जाने-माने जनवादी कवि हृदयेश मयंक और कर्नाटक के पूर्व विधानसभा स्पीकर और वर्तमान विधायक बी. आर. पाटिल की पंचगनी में आयोजित ‘भाषाई संगम’ पर उनके विचार वीडियो क्लिप के माध्यम से दिखाया गया। अमित खरात ने संस्कृत में संस्कृत की महिमा का गुणगान किया। सुनील माने ने अंग्रेजी भाषा में अपने जीवनानुभव को बड़े रोचक ढंग से सभी को बताया। मराठी के ख्यातिलब्ध साहित्यकार लक्ष्मीकांत रांजने ने अपनी रचनाओं के द्वारा सबके अंतर्मन को छू लिया। अंग्रेजी की प्राध्यापिका आलिया खान ने उर्दू की मिठास को बड़ी तहज़ीब के साथ महफ़िल में पेश किया। नील पिंटो ने ‘इंसान’ और ‘पार्वती नदी’ शीर्षक की  अंग्रेजी कविता सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ. सरदार मुज़ावर ने अपने देश की खूबसूरती का बखान ‘ये है मेरा हिन्दोस्तां’ जैसी दिलकश कविता में जमकर किया।

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जुमाना ने श्रीलंका की भाषा ‘सिंहालीज’ में अपनी एक रचना प्रस्तुत की। किशोर पुरोहित ने महात्मा गांधी और अपने परिवार के घनिष्ठ संबंधों को संगम में साझा किया। रोटरी क्लब ऑफ पंचगनी के सचिव ज्ञानेश सूर्यवंशी ने प्रेम की मधुरिम यादों को मराठी और हिंदी कविता के माध्यम से लोगों के सामने रखा। सेंट पीटर्स के पूर्व छात्र और मराठी दैनिक सकाल के वरिष्ठ पत्रकार सुनील काम्बले ने विद्यालय की सृजनात्मक गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए अपने छात्र-जीवन को याद किया। सुजाता काले ने नारी जीवन पर कविता सुनाई। नेमत ने ईरानी भाषा में श्रोताओं से संवाद स्थापित किया। इसी प्रकार सिस्टर रिबेका, रोड्रिक्स, मच्छिन्द्र भिसे, रमेश कुमार तिवारी, आकांक्षा बोंगाले, योगेश परचुरे, अशोक बेडेकर, संजय शर्मा आदि ने भारत की विभिन्न भाषाओं में अपनी बात रखी। ताज़ुद्दीन सिद्दीकी की संगीतमय प्रस्तुति क़ाबिल-ए-तारीफ़ थी।

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इस अवसर पर संजीव निगम ने हिंदुस्तानी प्रचार सभा की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सभा गांधीजी के विचारों को जनमानस में उतारने के लिए संकल्पबद्ध है। भारतीय जेलों में पुस्तकालयों को खोलना और उनकी देख-रेख करते रहना हमारी प्राथमिकताओं में से एक है। फ़िरोज़ पैच ने भाषाई संगम के पीछे निहित सोच को सबके समक्ष ज़ाहिर किया। उन्होंने कहा कि भाषाई संगम का यह लघु रूप भविष्य में वृहद स्वरूप में हमारे सामने आएगा। कार्यक्रम का सूत्र संचालन हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र पाण्डेय और अंग्रेजी विभागाध्यक्षा संध्या पिसाल ने मिलकर किया। राम शेलके ने आमंत्रित अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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