अवनीश सिंह की पुस्तक ‘सुधाकर मिश्र की काव्यसंवेदना’ का लोकार्पण

सुधाकर मिश्र

आनंदप्रकाश शर्मा,

आज साहित्य के लिए भी नए तरीके से सोचने की आवश्यकता है, इसलिए ‘सुधाकर मिश्र की काव्य संवेदना’ इस पुस्तक को आज एक प्रोडक्ट के रूप में देखा जा सकता है. किसी भी प्रोडक्ट को परखने के लिए दो बिंदुओं पर ध्यान देने की जरूरत है. प्रथमत: यह कि उसकी मौलिकता के साथ क्वालिटी आधारित स्थिति और दूसरी उसकी एक्सपायरी. सुधाकर मिश्र की कविताओं में मानवीय संवेदना के तमाम उन सूत्रों को उकेरा गया है, जिससे जीवन मूल्यों को साफ-साफ देखा जा सकता है. साठ के दशक से लेकर आज तक के परिवेश और उसे जुडी सामाजिक स्थितियों की गहन अभिव्यक्ति इनकी कविताओं की खा़सियत है. अवनीश सिंह की यह पुस्तक सुधाकर जी की “झाबवाला” है. के.सी.कॉलेज, हिंदी विभाग द्वारा आयोजित ” सुधाकर मिश्र की काव्य संवेदना” के लोकार्पण समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि श्री रामप्रकाश मिश्र ने यह उद्गार व्यक्त किया.

पुस्तक पर डॉ. उमेश शुक्ल ने विस्तृत वक्तव्य प्रस्तुत किया. महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी के सदस्य वरिष्ठ पत्रकार अभिमन्यु शितोले ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज आवश्यकता है कि सुधाकर मिश्र जैसे संवेदना सम्पन्न कवियों पर कार्यक्रम कर जीवन मूल्यों से समाज को संपृक्त किया जाय. राजनीति की गहन अभिव्यक्ति के साथ सामाजिक मूल्यों की प्रतिष्ठा से सम्पन्न कवि की आज बहुत जरूरत है. उन्होंने ” क्या करेगा तू बता सबसे बड़ा धनवान बन,है अगर बनना तुझे तो आदमी इंसान बन” जैसी काव्यपंक्तियों को विशेष रूप से उद्धृत किया.

कार्यक्रम के संयोजक आचार्य शीतला प्रसाद दुबे ने के.सी.कॉलेज हिंदी विभाग की परंपरा का उल्लेख करते हुए  इस कार्यक्रम को तीन पीढियों की संगति के रूप में रेखांकित किया. उन्होने सुधाकर मिश्र की कविता के भाषिक प्रयोग एवं बिंब,प्रतीकों की संश्लिष्ट प्रस्तुति का वर्णन करते हुए” एक पुण्य पर आखिर कोई कब तक पाप करेगा” एवं “बंसवट सुगना उडा़ऊं सखि कैसे” के परिप्रेक्ष्य में प्रयुक्त प्रतीकों में प्रच्छन्न अर्थ-छटाओं का उल्लेख किया.

कार्यक्रम के आरंभ में उप प्राचार्य स्मरजीत पाधी ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया और विद्यार्थियों ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की. समारोह की सम्पन्नता सुनिश्चित की कवि श्री सुधाकर मिश्र की काव्यप्रस्तुति ने. श्री मिश्र ने लगभग ६० वर्ष की अपनी काव्य यात्रा का लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हुए अनेक अनछुए प्रसंगों को काव्य की रचना प्रक्रिया के साथ जोड़कर उलंलिखित किया. “कवि ही दुनिया का राजा है,” कविता की प्रस्तुति से उपस्थित जन समूह भाव विभोर हो उठा.कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्यवती चौबे और संयोजन सहयोग श्री अजीतकुमार राय ने किया.

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