पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया की शुरुआत के साथ ही सियासी तापमान बढ़ने लगा है. सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने नंदीग्राम में 13 मार्च को किसान महापंचायत का ऐलान किया है.किसान नेताओं ने कहा कि वह किसी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे हैं. लेकिन उन्होंने ये भी कहा कि बंगाल चुनाव में अगर बीजेपी हार जाती है तो उसका घमंड टूट जाएगा और फिर किसानों की बात मानी जाएगी.
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 12 से 14 मार्च तक पश्चिम बंगाल केअलग-अलग इलाकों में किसान महापंचायत का ऐलान किया है. एसकेएम की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक 13 मार्च को नंदीग्राम और 14 मार्च को सिंगुर में किसान महापंचायत होगी.
किसान एकता मोर्चा ने अपने एक ट्वीट में लिखा, “हमारे किसान नेताओं ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ‘नो वोट टू बीजेपी’ के तहत अभियान शुरू कर दिया है. हम लोगों से आग्रह करते हैं कि वे उस पार्टी के खिलाफ खड़े हों, जो किसान विरोधी कानून लाती है.”
नए कृषि कानूनों को रद्द करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानूनी गारंटी की मांग को लेकर दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान पिछले साल नवंबर के अंत से प्रदर्शन दे रहे हैं. इनमें ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान हैं.