सहजन के लाभकारी गुण (Drumstick): जवां रहने का राज, और भी बहुत कुछ..

सहजन

जवां रहने का राज (सहजन): डायबिटीज, हार्ट, गठिया, कब्ज, पथरी की तकलीफ से बचाए, जड़ से लेकर पत्ती तक गुणकारी, आयुर्वेद में अमृत कहा गया है!

सहजन के पेड़ की जड़ से लेकर फल तक गुणकारी है। आयुर्वेद की मानें तो सहजन के तने, पत्ते, छाल, फूल, फल और कई अन्य भागों का अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है, जो 300 से ज्यादा बीमारियों मे काम आता है। आइए जानते हैं सहजन के फायदे।

फल, फूल, पत्तियां सब गुणकारी है 

टेस्ट और न्यूट्रिशन से भरपूर ड्रमस्टिक यानी सहजन सिर्फ हेल्दी फूड नहीं, बल्कि इसके फूल, पत्तियां और फल बहुत फायदेमंद हैं। इसके नियमित सेवन से व्यक्ति हमेशा चुस्त-दुरुस्त और जवां रह सकता है। मेडिसिनल प्रॉपर्टी से भरपूर इस सब्जी को अलग-अलग बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। सहजन में एंटीफंगल, एंटी वायरस, एंटी डिप्रेसेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। मिनरल्स से भरपूर सहजन कैल्शियम का नॉन-डेयरी सोर्स है। इसमें पोटेशियम, जस्ता, मैग्नीशियम, आयरन, तांबा, फास्फोरस और जस्ता जैसे कई न्यूट्रिशन हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद हैं।

ड्रमस्टिक को डाइट में अवश्य शामिल करें

सहजन के फल और पत्तियों का इस्तेमाल तीन अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है। पत्तियों को कच्चा, पाउडर या जूस के रूप में सेवन कर सकते हैं। सहजन की पत्तियों को पानी में उबालकर उसमें शहद और नींबू मिलाकर पिया जा सकता है। इसका इस्तेमाल सूप और करी में कर सकते हैं। रोगियों को रोजाना 2 ग्राम सहजन की सही खुराक डॉक्टर की सलाह से लेनी चाहिए। मेडिसिनल प्रॉपर्टी से भरपूर सहजन ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है। डायबिटीज के मरीज को रोजाना ड्रमस्टिक का सेवन करना चाहिए। यह अलग-अलग जगहों पर अलग नाम से जाना जाता है, जैसे सहजन, मोरिंगा, सूरजन, मुनगा आदि।

सहजन को अमृत फल क्यू कहा जाता है 

सहजन को आयुर्वेद में अमृत समान माना गया है। इसे 300 से ज्यादा बीमारियों की दवा माना जाता है। इसकी पत्तियां और फल, दोनों ही सब्जी बनाने के काम में आते हैं। सहजन की फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्प्लेक्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है। सहजन पत्तियों में विटामिन-सी होता है जो ब्लड प्रेशर कम करने में मदद करता है। यह वजन घटाने में भी सहायक है। साउथ इंडिया में सहजन का इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है।

सहजन खाने के कई फायदे

  • इम्यूनिटी बढ़ाए
  • पथरी बाहर निकले
  • कोलेस्ट्रॉल कम करे
  • ब्लड प्रेशर नॉर्मल रखने
  • डाइजेशन दुरुस्त करे
  • दांतों को कैविटी से बचाए
  • पेट के कीड़ों का सफाया करे
  • साइटिका, गठिया में फायदेमंद
  • पेट से जुड़ी समस्याओं में राहत
  • लिवर को स्वस्थ रखने में कारगर

सहजन के फूलों का रस पिएं, इसकी सब्जी खाएं या सूप पीएं। ज्यादा फायदा चाहिए तो दाल में डालकर पकाएं। आंखों के लिए भी सहजन अच्‍छा है। आंखों की रोशनी कम हो रही हो तो सहजन की फली, पत्तियां और फूल का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।

सहजन की पत्तियों के अनेको फायदे

  • सहजन की पत्तियों में एस्‍कॉर्बिक एसिड, फोलिक और फेनोलिक मिलते हैं और लगभग 40 से ज्यादा एंटीऑक्‍सीडेंट पाए जाते हैं। इसकी पत्तियों के अर्क में एंटीऑक्‍सीडेंट गुण होते हैं जो शुगर के लक्षणों को कम करने में सहायक हैं। ये इंसुलिन लेवल को बैलेंस करती हैं, जिससे शुगर पेशेंट को फायदा मिलता है।
  • सहजन की पत्तियों का इस्तेमाल दिल को खराब कोलेस्ट्रॉल के असर से बचाता है। इन पत्तियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड की अच्‍छी मात्रा होती है, जिससे कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है। सहजन की पत्तियों में मौजूद पोटेशियम ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है। पोटैशियम वैसोप्रेसिन को कंट्रोल करता है, यह हार्मोन रक्त वाहिकाओं के कामकाज को प्रभावित करता है।
  • कैंसर के लक्षणों को कम करने के लिए सहजन की पत्तियों का उपयोग किया जा सकता है। सहजन की पत्तियों में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट हैं जो कैंसर सेल्स और फ्री रेडिकल्स के प्रभावों को कम करने में सहायक हैं।
  • सहजन के पत्तों के रस में सिलीमरिन जैसे घटक होते हैं जो लिवर एंजाइम फंक्‍शन को बढ़ाते हैं। 100 ग्राम सहजन पत्ते के पाउडर में कम से कम 28 मिली ग्राम आयरन होता है जो अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में बहुत ज्यादा है इसलिए इससे एनीमिया दूर होता है। इसमें आयरन, जस्ता, ओमेगा-3 फैटी एसिड और अन्य पदार्थ होते हैं जो ब्रेन हेल्थ को बढ़ाने में सहायक हैं। ओमेगा-3 याददाश्त बेहतर बनाने में सहायक है।

सहजन खाने के नुकसान

  • लो ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए सहजन बहुत नुकसानदेह है। लो ब्लड प्रेशर की प्रॉब्लम में सहजन नहीं खाना चाहिए इससे हाई बीपी का खतरा बढ़ जाता है।
  • प्रेग्नेंसी और पीरियड्स के दौरान सहजन का सेवन करने से बचना चाहिए। प्रेग्नेंसी में सहजन खाने से अबॉर्शन का खतरा बढ़ता है। सहजन का अधिक मात्रा में सेवन शरीर में पित्त दोष बढ़ा सकता है, इसलिए पीरियड्स के दौरान सहजन खाने से बचना चाहिए।
  • सहजन खाने से मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। इसकी वजह से तनाव और डिप्रेशन की समस्या हो सकती है। सहजन में इसोथियोसीयानेट और ग्लाइकोसाइड सायनाइड जैसे तत्व पाए जाते हैं। ये तत्व शरीर के लिए विषैले माने जाते हैं। जिन लोगों को ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या है उन्हें सहजन का सेवन करने से बचना चाहिए। इस समस्या में बहुत ज्यादा सहजन खाने से कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  • डिलीवरी के ठीक बाद सहजन खाने से बचना चाहिए। डिलीवरी के ठीक बाद सहजन के बीज, सहजन की छाल आदि का इस्तेमाल नुकसानदायक होता है। गर्भावस्था या डिलीवरी के बाद भी सहजन खाने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

डिस्क्लेमर- यहां दी गई जानकारी घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों पर आधारित है। अपनाने से पहले एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें।

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