शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री नरेंद मोदी को एक पत्र लिखते हुए ”द प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991” को समाप्त करने की मांग की है. रिजवी ने साथ ही ये भी कहा है कि मुगलों द्वारा कट्टरपंथी मानसिकता के साथ तोड़े गए मंदिरों की जगह बनाए गए मस्जिदों को समाप्त कर पुनः प्राचीन मंदिरों की पूर्व स्तिथि बहाल की जाए
उन्होंने लिखा कि वर्ष 1991 में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने यह कानून इसलिए बनाया ताकि मुगलों द्वारा भारत के प्राचीन पवित्र मंदिरों को तोड़कर बनाई गई अवैध मस्जिदों को हिन्दुस्तान की जमीन पर एक विवाद के रूप में जिंदा रखा जाए. पत्र में उन्होंने लिखा है कि यह अधिनियम बनाए जाने के लिए कांग्रेस की सरकार पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और हिन्दुस्तान के कट्टरपंथी मौलवियों का पूरा दबाव था.
रिजवी ने अपने इस पत्र में कुल 9 ऐसी मस्जिदों का उल्लेख किया है जो उनके अनुसार मंदिर तोड़कर बनायी गयी थीं. इनमें अयोध्या के राम मंदिर के अलावा, मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि का केशव देव मंदिर, जौनपुर का अटाला देव मंदिर, वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर, गुजरात के जिला बटना का रूद्रा महालया मंदिर, अहमदाबाद गुजरात का भद्रकाली मंदिर, पश्चिम बंगाल की अदीना मस्जिद पंडुवा, विजया मंदिर विदिशा म़प्ऱ, कुतुब मीनार दिल्ली की मस्जिद कुवतुल इस्लाम शामिल है.