म्यांमार में हुए तख्ता-पलट के बाद करीब 300 शरणार्थी भारत पहुंचे हैं. खास बात ये है कि इन शरणार्थियों में 150 म्यांमार पुलिस के जवान है, जो मिलिट्री-जुंटा (शासन) का विरोध कर रहे हैं और नागरिकों के आंदोलन को समर्थन कर रहे हैं.
तख्तापलट के बाद से ही सैन्य-शासन ने म्यांमार को पूरी दुनिया के लिए बंद कर दिया है. इस लॉक-डॉउन के बीच टीम म्यांमार बॉर्डर से सटे मिजोरम में पहुंची है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, म्यांमार बॉर्डर की निगरानी करने वाली बॉर्डर ग्राडिंग फोर्स, असम राईफल्स द्वारा शरणार्थियों के मिजोरम में दाखिल होने के बाद भारत-म्यांमार सीमा को पूरी तरह सील कर दिया गया है.
सैन्य तख्ता-पलट के बाद से ही पड़ोसी देश म्यांमार ने अपने दरवाजे बाकी दुनिया के लिए बंद कर दिए हैं. वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की आड़ में म्यांमार की मिलिट्री-जुंटा किसी भी बाहरी मीडिया को अपने देश में प्रवेश नहीं दे रही है.
असम राईफल्स देश का सबसे पुराना (और एकमात्र) पैरा-मिलिट्री फोर्स है, जिसकी स्थापना वर्ष 1835 में हुई थी. उस वक्त इसे ‘कचर-लेवी’ के नाम से जाना जाता था. आजादी के बाद से असम राईफल्स की जिम्मेदारी म्यांमार बॉर्डर की रखवाली और उत्तर-पूर्व के राज्यों की उग्रवाद के खिलाफ आतंरिक सुरक्षा करना है.