भिखारी ठाकुर आज भी जीवित है – आनंदप्रकाश शर्मा

भिखारी ठाकुर

हाराष्ट्र, पालघर के अंतर्गत नालासोपारा में भोजपुरी के सेक्सपियर के उपाधि से नवजीत व लोक गायक कलाकार भिखारी ठाकुर की जयंती मनाई गई। यह कार्यक्रम युगांतर चेरिटेबल ट्रस्ट, युवा ब्रिगेड टीम व अखिल भारतीय सविता महासंघ के द्वारा आयोजित की गई। लोक कलाकार भिखारी ठाकुर को माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। आनंदप्रकाश शर्मा भावी विधायक प्रत्याशी 370 मड़ियाहूं विधान सभा क्षेत्र ने अतिथियों का परिचय दिया व अपने भाषण में कहा कि भिखारी ठाकुर आज भी हमारे बीच जीवित है। यहां से तो सिर्फ उनका शरीर गया है। आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। जो युवा समाज से दूर होता जा रहा है आज वह इन समाज के जगत प्रहरियों के याद करके पुनः समाज से जुड़ने कोशिश कर रहा है। अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज हम ऐसे महान व्यक्ति की जयंती मना रहे हैं। जो अपनी कला के माध्यम से समाज को एक दिशा दी। साथ ही जिसमें किसी की प्रतिभा पढ़ाई-लिखाई, अमीरी-गरीबी, जाति-धर्म की मोहताज नही होती है तमामं महापुरुषों ने अपने कृतत्व और व्यकितत्व को सिद्ध कर दिया। आज के ही दिन कबीर के बाद भारत भूमि पर एक महापुरुष का अवतरण हुआ,जिन्हें भारत के प्रकांड विद्वान राहुल संस्कृतकयन ने “भोजपुरी का सेक्सपियर ” कहा था। हम उन्हें भिखारी ठाकुर के नाम से जानते है। परंतु भिखारी ठाकुर लोक कलाकार ही नहीं थे, बल्कि जीवन भर सामाजिक कुरीतियों और बुराइयों के खिलाफ कई स्तरों पर जूझते रहे। उनके अभिनय एवं निर्देशन में बनी भोजपुरी फिल्म ‘बिदेसिया’ आज भी लाखों-करोड़ों दर्शकों के बीच पहले जितनी ही लोकप्रिय है। उनके निर्देशन में भोजपुरी के नाटक ‘बेटी बेचवा’, ‘गबर घिचोर’, ‘बेटी वियोग’ का आज भी भोजपुरी अंचल में मंचन होता रहता है। इन नाटकों और फिल्मों के माध्यम से भिखारी ठाकुर ने सामाजिक सुधार की दिशा में अदभुत पहल की। वह मूलतः छपरा (बिहार) के गांव कुतुबपुर में जन्मे थे। फिल्म बिदेसिया की ये दो पंक्तियां तो भोजपुरी अंचल में मुहावरे की तरह आज भी गूंजती रहती हैं-

“हँसि हँसि पनवा खीऔले बेईमनवा कि अपना बसे रे परदेश।
कोरी रे चुनरिया में दगिया लगाई गइले, मारी रे करेजवा में ठेस!”

भिखारी ठाकुर

इस प्रकार भिखारी ठाकुर ने लोगों के बीच अपना स्थान बनाया है। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में अशोक शर्मा (राष्ट्रीय महासचिव अखिल भारती सविता महासंघ व उपाध्यक्ष वसई-विरार पालघर जिला कांग्रेस पार्टी) ने माल्यार्पण करके भिखारी ठाकुर को भावपूर्ण श्रद्धान्जलि अर्पित की। श्री शर्मा जी ने कहा कि भिखारी ठाकुर के व्यक्तित्व में कई आश्चर्यजनक विशेषताएं थी। जो शुरुआती जीवन में वे रोजी-रोटी के लिए अपना घर-गांव छोडकर खड़गपुर चले गए। कुछ वक्त तक वहां नौकरी की। तीस वर्षों तक पारंपरिक पेशे से जुड़े रहे। अपने गाँव लौटे तो लोक कलाकारों की एक नृत्य मंडली बनाई। उनकी संगीत में भी गहरी अभिरुचि थी। सुरीला कंठ था। अपनी आवाज़ के माध्यम से वह कई स्तरों पर कला-साधना करने के साथ-साथ भोजपुरी साहित्य की रचना में भी लगे रहे। मुख्य वक्ता सुशील रामचंद्र शर्मा, पालघर जिलाध्यक्ष अखिल भारती सविता महासंघ ने भिखारी ठाकुर को नमन करते हुए कहा कि भिखारी ठाकुर ने कुल 29 पुस्तकें लिखीं। आगे चलकर वह भोजपुरी साहित्य और संस्कृति के समर्थ प्रचारक और संवाहक बने। बिदेसिया फिल्म से उन्हें अपार प्रसिद्धि मिली। आजादी के आंदोलन में भिखारी ठाकुर ने अपने कलात्मक सरोकारों के साथ शिरकत की। अंग्रेजी राज के खिलाफ नाटक मंडली के माध्यम से जनजागरण करते रहे। इसके साथ ही नशाखोरी, दहेज प्रथा, बेटी हत्या, बालविवाह आदि के खिलाफ अलख जगाते रहे। यद्यपि बाद में अंग्रेजों ने उन्हें रायबहादुर की उपाधि दी। वक्ता राहुल शर्मा,शिवसेना नेता ने कहा कि पुनीत बिसारिया लिखते हैं कि “उनकी भाषा में चुहल है, व्यंग्य है, पर वे अपनी भाषा की जादूगरी से ऐसी तमाम गांठों को खोलते हैं, जिन्हें खोलते हुए मनुष्य डरता है। भिखारी ठाकुर की रचनाओं का ऊपरी स्वरूप जितना सरल दिखाई देता है, भीतर से वह उतना ही जटिल है और हाहाकार से भरा हुआ है। इसमें प्रवेश पाना तो आसान है, पर एक बार प्रवेश पाने के बाद निकलना मुश्किल काम है। वे अपने पाठको और दर्शकों पर जो प्रभाव डालते हैं, वह इतना गहरा होता है कि इससे पाठक और दर्शक का अंतरजगत उलट-पलट जाता है। यह उलट-पलट दैनंदिन जीवन में मनुष्य के साथ यात्रा पर निकल पड़ता है। इससे मुक्ति पाना कठिन है। उनकी रचनाओं के भीतर मनुष्य की चीख भरी हुई है। उनमें ऐसा दर्द है, जो आजीवन आपको बेचैन करता रहे। इसके साथ-साथ सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि गहन संकट काल में वे आपको विश्वास देते हैं, अपने दुखों से, प्रपंचों से लड़ने की शक्ति देते हैं। अपने प्रसिद्ध नाटक ‘बिदेसिया’ में भिखारी ठाकुर ने स्त्री जीवन के ऐसे प्रसंगों को अभिव्यक्ति के लिए चुना, जिन प्रसंगों से उपजने वाली पीड़ा आज भी हमारे समाज में जीवित है।”

सम्मानित अतिथि अजय कुमार शर्मा पालघर जिलाध्यक्ष युवा ब्रिगेड टीम ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भिखारी ठाकुर के लिखे प्रमुख नाटक हैं- बिदेसिया, भाई-विरोध, बेटी-वियोग, कलियुग-प्रेम, राधेश्याम-बहार, बिरहा-बहार, नक़ल भांड और नेटुआ के, गबर घिचोर, गंगा स्नान (अस्नान), विधवा-विलाप, पुत्रवध, ननद-भौजाई आदि। इसके अलावा उन्होंने शिव विवाह, भजन कीर्तन: राम, रामलीला गान, भजन कीर्तन: कृष्ण, माता भक्ति, आरती, बुढशाला के बयाँ, चौवर्ण पदवी, नाइ बहार आदि की भी रचनाएं की है। सम्मानित अतिथि सर्वेश कुमार शर्मा (सदस्य युवा ब्रिगेड टीम) भिखारी ठाकुर को माल्यापर्ण कर श्रद्धान्जलि दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन आनंदप्रकाश शर्मा ने किया।

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