नेपाल ने चीन को झटका देते हुए देश की राजनीति से दूर रहने की सलाह दी है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने पिछले हफ्ते चीनी राजदूत होउ यान्की से कहा कि वह अन्य देशों से बिना किसी सहायता के अपनी पार्टी के भीतर चुनौतियों को संभालने में सक्षम हैं।
बॉर्डर विवाद के बाद भारत ने धीरे-धीरे Nepal से अपने रिश्तों को सुधारना शुरू किया है, और कुछ ही दिनों पहले भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने नेपाल का दौरा कर प्रधानमंत्री ओली से मुलाकात की थी। यात्रा के दौरान, विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने COVID -19 संकट से निपटने के लिए Nepal को नई दिल्ली की सहायता के रूप में रेमेडीसविर की 2000 शीशियां सौंपी।
ओली की टिप्पणी,उनकी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) में होने वाली घटनाओं के कारण हो सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पा कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व में पार्टी का एक गुट ओली के विरोध में है। एचटी की खबर के अनुसार, ओली ने अपने समर्थकों से कहा था कि वह पार्टी में विभाजन के लिए तैयार हैं। चीन इसको टालने के लिए काम कर रहा है।
ऐसा लगता है कि चीन नेपाल और भारत के बीच एक बार फिर से गहराते रिश्तों से डर गया है और नेपाल को भारत के खिलाफ करने के लिए अपने सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में से एक Wei Fenghe को Nepal भेज रहा है। चीनी रक्षा मंत्री Wei Fenghe 29 नवंबर को एक दिन की यात्रा पर नेपाल आएंगे। जिस तरह से पिछली बार Nepal सरकार के आंतरिक मामलों में चीन ने नेपाल में चीनी एंबेसडर Hou Yanqi की मदद से ओली सरकार को अपने पाश में जकड़ लिया था,