बीते एक दशक में भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में मजबूती आई है। लेकिन अब यही मजबूती कहीं न कहीं भारत की टेंशन भी बन गई है। हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने भारत की यात्रा की। इस दौरान उनकी अपने समकक्ष रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत एनएसए अजीत डोभाल और पीएम नरेंद्र मोदी से कई मुद्दों पर बातचीत हुई। ये बातचीत रणनीतिक दृष्टि से काफी अहम थी।
ऑस्टिन की पहली विदेश यात्रा के दौरान तीन देशों के दौरे में भारत तीसरा पड़ाव है. उनकी इस यात्रा को (अमेरिकी राष्ट्रपति) जो बाइडन प्रशासन के अपने करीबी सहयोगियों और क्षेत्र में साझेदारों के साथ मजबूत प्रतिबद्धता के तौर पर देखा जा रहा है. ऑस्टिन ने शाम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘यहां भारत में आकर रोमांचित हूं. हमारे दोनों देशों के बीच सहयोग की गहराई हमारी व्यापक रक्षा साझेदारी के महत्व को दर्शाती है और हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों पर मिलकर काम कर सकते हैं.’
इस पूरे दौरे को ऑब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत काफी अहम मानते हैं। हालांकि उनका कहना है कि भारत अमेरिका एलाइंस पार्टनर नहीं है जैसे जापान और दक्षिण कोरिया है। बल्कि भारत एक स्ट्रेटेजिक पार्टनर है। ऑस्टिन का यहां आना भारत की इंडो-पेसेफिक क्षेत्र में अहमियत को दर्शाता है।