Lakhimpur Kheri Case: लखीमपुर खीरी कांड के आरोपी आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) उर्फ मोनू अब जल्द ही जेल से रिहा होगा। हाई कोर्ट (High Court) की लखनऊ बेंच ने आज केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) के बेटे आशीष मिश्रा को जमानत दे दी है।
यह आदेश जस्टिस राजीव सिंह की एकल पीठ ने दिया है। 18 जनवरी को लखनऊ बेंच ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आशीष मिश्रा पर लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया गांव में पिछले साल तीन अक्टूबर को प्रदर्शनकारी किसानों को जीप से कुचलकर मारने का आरोप है।
पूरी घटना एक सोची समझी साजिश- SIT
मामले की जांच कर रही एसआईटी ने अपनी जांच में पाया कि किसानों को गाड़ी से कुचलने की पूरी घटना एक सोची समझी साजिश थी। इसके बाद एसआईटी ने 5000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की, जिसमें आशीष मिश्रा को हत्या का आरोपी पाया गया। एसआईटी की ओर से कुल 16 लोगों को इस घटना का आरोपी बनाया गया। एसआईटी ने आरोपियों पर IPC की धाराओं 307, 326, 302, 34,120 बी,147, 148,149, 3/25/30 लगाई हैं।
Lakhimpur Kheri violence case: Lucknow bench of Allahabad HC grants bail to prime accused Ashish Mishra
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— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 10, 2022
प्रदर्शन कर रहे किसानों पर चढ़ाई थी गाड़ी
बता दें कि पिछले साल तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में चार किसानों को एक एसयूवी कार से कुचल दिया गया था, जब वह एक कार्यक्रम में कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर लौट रहे थे। घटना के बाद हुई हिंसा में भी कुछ लोग मारे गए। किसानों ने आरोप लगाया था कि एसयूवी अजय मिश्रा टेनी की थी और उसमें उनका बेटा आशीष मिश्रा था। हिंसा के कई दिनों के बाद आशीष मिश्रा को 9 अक्टूबर को कई घंटों की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था।
बढ़ेगी किसानों की नाराजगी
ब्राह्मणों को एकजुट करने का पैंतरा
हालांकि वहीं दूसरी ओर आशीष मिश्रा की रिहाई को कुछ राजनीतिक विशेषज्ञ भाजपा के लिए फायदे के सौदे की रिहाई मान रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक डीएस शर्मा कहते हैं कि आशीष मिश्रा की रिहाई उस वक्त हुई है जब ब्राह्मणों को एकजुट करने के चुनावी पैंतरे चले जा रहे हैं। खासतौर से तीसरे चरण के मतदान के बाद से लेकर सातवें चरण के मतदान में ब्राह्मणों का झुकाव चुनाव की दशा और दिशा बदल देता है, उसमें आशीष मिश्रा की रिहाई को चुनावी नजरिए से देखा ही जाएगा। वे कहते हैं, हाई कोर्ट के फैसले पर कोई सवाल नहीं, लेकिन राजनैतिक ग्राउंड पर इसके तमाम मायने निकाले जा रहे हैं। शर्मा कहते हैं कि अजय मिश्र टेनी और उनके बेटे आशीष मिश्रा को लेकर भाजपा का रवैया बहुत सख्त कभी नहीं रहा। अगर रवैया सख्त होता तो केंद्रीय गृह राज्य मंत्री टेनी मोदी कैबिनेट में नहीं रहते। ऐसे में आशीष मिश्रा की जमानत से भाजपा के लिए ब्राह्मणों के बीच में एक सॉफ्ट झुकाव देखने को मिल सकता है।
लखीमपुर खीरी में चौथे चरण में मतदान 23 फरवरी को होना है। राजनीतिक विशेषज्ञ महेंद्र सिंह मानते हैं कि आशीष मिश्रा की जमानत से लखीमपुर खीरी की ब्राह्मण राजनीति और आसपास के जिलों में होने वाले मतदान की राजनीति पर असर दिखाई पड़ सकता है। वे कहते हैं कि खीरी में ब्राह्मण मतदाता पहले से ही अजय मिश्र टेनी और उनके बेटे के पक्ष में रहा है। जबकि किसान उनके पक्षधर लखीमपुर में हुई हिंसा का विरोध लगातार करते आए हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रवक्ता रहे प्रोफ़ेसर नंद किशोर अग्रवाल बताते हैं कि इतनी बड़ी घटना के मुख्य आरोपी की चुनाव के दौरान मिलने वाली जमानत का राजनीतिक असर न हो ऐसा हो ही नहीं सकता। वे कहते हैं इसमें भाजपा को फायदा भी हो सकता है और नुकसान भी। यह नुकसान पश्चिमी उत्तर प्रदेश की विधानसभा सीटों पर देखने को मिल सकता है। क्योंकि अभी दूसरे चरण का मतदान बाकी है और आशीष मिश्रा की रिहाई का संदेश किसानों में नाराजगी के तौर पर ही देखा जाएगा। जबकि फायदा बचे हुए चरणों में खासतौर से ब्राह्मण सीटों और ब्राह्मण बाहुल्य इलाकों में दिख सकता है।