“क्रिना” आदिवासियों के जीवन पर आधारित एक रोमांचक फिल्म

"क्रिना"

सुंदर मोरे | NavprabhatTimes.com

पार्थ फिल्म इंटरनेशनल के बैनर तले “क्रिना” के निर्देशक श्यामल के मिश्रा और प्रोड्यूसर अरविंद सिंह चौहान ने कहानी का चुनाव बहुत ही मार्मिक ढंग से किया है। कुछ सहयोगी कलाकारों के साथ और कुछ बाल कलाकारों को लेकर फिल्म “क्रिना” का निर्माण किया गया है। फिल्म नगरी में “क्रिना” की कहानी खूब सराही जा रही है।

क्रिना” की कहानी जंगल में रह रहे उन आदिवासियों के जीवन पर आधारित है, जो किसी भी तरह से अपना जीविकोपार्जन करते हैं। जंगल के कबीले का क्रूर सरदार चित्रा (शाहबाज खान ) उन गरीब कबीलाई पर तरह-तरह का जुल्म करता रहता है, लेकिन कोई भी आवाज उठाने की हिम्मत नहीं करता, ऐसे में उसके जुल्म से त्रस्त होकर गांव की ही एक वृद्ध महिला (सुधा चंदन ) उसके खिलाफ आवाज उठाती है। चित्रा उसे भी मौत की सजा दे देता है। लेकिन मंगल की चुनौती खाली नहीं जाती और कुछ दिन बाद उसी कबीले के एक गरीब दंपति कृहन्ष ( इंद्र कुमार ) और नारीवा (दीपशिखा ) के काफी मिन्नतों के बाद वन देवी के आशीर्वाद से एक पुत्र का जन्म होता है, जिसका नाम होता है “क्रिना”।

“क्रिना” (पार्थ सिंह चौहान) एक वीर बालक है, जो अंततः चित्रा सरदार से उन गरीब कबीलाई को मुक्ति दिलाता है। इस तरह द्वंद युद्ध में उनका साथ देता है। दूसरे कबीले का सरदार (सुदेश बेरी) रुद्रा की एक सुंदर सी प्यारी सी बेटी भी है, जिसका नाम है रुमानी। रुमानी (तनीषा शर्मा ) जो कि “क्रिना” को मन-ही-मन प्यार करने लगती है।

लेकिन क्या “क्रिना” रूमानी को चाहता है…? चित्र के मरने के बाद क्या होता है…? कृहन्ष और नारीवा किस परिस्थितियों में “क्रिना” को जन्म देते हैं…? यह सब जानने के लिए अवश्य देखें एक अलग विषय पर आधारित रोमांचक कहानी “क्रिना”।

प्रस्तुतिआनंदप्रकाश शर्मा

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