न्यूज़ डेस्क: लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को 54 दिन का पूरा वेतन देने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कर्मचारी और नियोक्ता(कंपनी) आपस में समझौते से मामला सुलझाए। इसमें राज्य के श्रम विभाग मदद करेंगे। कोर्ट ने साथ ही कहा कि इस बीच पूरा वेतन न देने वाले नियोक्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्यवाही नहीं होगी।
लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को 54दिन का पूरा वेतन देने का मामला। सुप्रीमकोर्ट ने आदेश में कहा कर्मचारी और नियोक्ता आपस में समझौते से मामला सुलझाए। इसमें राज्य के श्रमविभाग मदद करेंगे। इस बीच पूरा वेतन न देने वाले नियोक्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्यवाही नहीं होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने MSMEs सहित कई कंपनियों द्वारा दायर कई याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया, जिसमें लॉकडाउन के 54 दिनों की अवधि के दौरान कर्मचारियों को पूर्ण वेतन और भुगतान करने के गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी गई।
चीफ जस्टिस भूषण ने सुनवाई के दौरान कहा कि हमने कंपनियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। इस पर पहले के आदेश जारी रहेंगे। केंद्र सरकार द्वारा जुलाई के अंतिम सप्ताह में एक विस्तृत हलफनामा दाखिल किया जाए। कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों और कंपनियों के बीच सुलह के लिए बातचीत का जिम्मा राज्य सरकार के श्रम विभागों को दिया जाता है।
Justice Bhushan says,' We directed no coercive action to be taken against employers.Our earlier orders will continue.A detailed affidavit has to be filed by Centre in last week of July.Negotiation b/w employees&employers to be facilitated by State Government labour departments'. https://t.co/rWEt0HWisi
— ANI (@ANI) June 12, 2020
इससे पहले 4 जून को सुप्रीम कोर्ट ने वेतन भुगतान पर गृह मंत्रालय (MHA) की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई करते हुए देखा कि कंपनी और कर्मचारियों के बीच सुलह का कोई रास्ता निकाला जा सकता है जिससे 54 दिनों की सैलरी दी जा सके। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की एक पीठ, जिसमें जस्टिस संजय किशन कौल और एम आर शाह शामिल है, इस याचिका पर सुनवाई की।
पिछली सुनवाई में फैसला रखा था सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट में पिछली बार हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने इस पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। दरअसल, सैलरी देने वाली कंपनियों की दलील है कि वो 29 मार्च से 17 मई के बीच के 54 दिनों की पूरी सैलरी देने की हालत में नहीं है। उनकी दलील थी कि सरकार को ऐसे मुश्किल हालत में उद्योगों की मदद करनी चाहिए। इस केस की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय कौल और एमआर शाह की बेंच कर रही है।
पिछली सुनवाई में क्या हुआ ?
4 जून को सुनवाई के दौरान कोर्ट को ये बताया गया कि कर्मचारियों और कंपनियों के बीच सैलरी को लेकर बातचीत हुई है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि अगर कोई कोई कंपनी ये कह रही है कि वो पूरी सैलरी देने की हालत में नहीं है तो वो फिर अपनी ऑडिटेड बैलेंस शीट दिखाए।