मनुष्य प्रकृति के पांच तत्वों से मिलकर बना हुआ है और यही पांच तत्व मनुष्य को मनुष्य बनाने में सहायक होते हैं। जिसने भी प्रकृति के इस पांच तत्वों को समझा,उसे अपनाया उसके विचारों में मजबूती आई। हम सब तो जानते ही हैं कि किसी काम को करने से पहले विचार कर लेना आवश्यक है, तो क्या हमें इस बात पर गौर नहीं करना चाहिए कि विचार कैसे हों, किस तरह के हों, तो आइए आज हम अच्छे विचारों की हमारे जीवन में उपयोगिता पर विचार करें।
इतिहास गवाह है जितने भी साहित्यकार, लेखक, कवि तथा वैज्ञानिक और अध्यात्म से जुड़े लोगों ने विचारों को महत्व दिया है और उसका प्रमाण हमारे सामने है। अगर हम ‘स्वामी विवेकानंद’ की ही बात लें, तो हम पाते हैं कि उनके चिंतन में गहराई थी, समझ थी, साथ ही अगर हम हिंदी साहित्य सम्राट मुंशी ‘प्रेमचंद’ के बारे में भी सोचें तो पाएंगे कि उनके विचारों की सीमा न थी, उनका साहित्य-लेखन आज के इस आधुनिक युग में तथा भूमंडलीकरण के दौर में भी सच्चाई प्रकट करता है।
तो क्या हमें यह समझ लेना चाहिए कि व्यक्ति अपने विचारों से महान बनता है? अगर ऐसा है तो हमें भी अपने विचारों को आज से ही एक नई दिशा देनी होगी क्योंकि जिस तरह नदी का पानी अपनी सीमा में बहता रहता है तो वहीं नदी हमारे लिए जीवनदायिनी होती है और जब अतिवृष्टि के कारण नदी में बाढ़ आ जाए तो वही नदी अपनी सीमा से बाहर आकर कितने घरों को तबाह कर देती है। इसी प्रकार विचारों की भी एक सीमा होती है, उसका भी एक दायरा होता है। हमें अपने विचारों को सकारात्मकता के साथ, अच्छी भावनाओं के साथ, परोपकार की भावना मन में रखते हुए उसे एक नई दिशा देनी चाहिए। व्यक्ति विचारों से महान बनता है और हर व्यक्ति आज के समय में इज्जत पाना चाहता है, बड़ा बनाना चाहता है।
देखा जाए तो हमारे विचार ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है, उसी का बागडोर थामे हुए हम समाज में, अपने मित्रों के बीच में, व्यवहार करते हैं और प्रतिष्ठा पाते हैं। जिन विचारों से हमें या दूसरों को क्षति पहुंचती हो ऐसे विचारों को निकाल बाहर फेंक देना चाहिए, तब कहीं जाकर हमारा मन स्वस्थ हो पाएगा। आज समाज में जो भी समस्या हमें दिखती हैं चाहे व भ्रष्टाचार हो, अपराध की बातें हो या आतंकवाद की समस्या हो, सभी विचारों से ही पोषक पाते हैं। एक विचार व्यक्ति को अपराधी, आतंकवादी बना सकता है और उसी विचार को थोड़ा सीधा कर दिया जाए तो व्यक्ति देश हित में फौजी बन सकता है क्योंकि विचारों में बदला लेने की नहीं कुछ बदलाव लाने की बात होनी चाहिए। जिससे आने वाली नई पीढ़ियों को हम कुछ नहीं तो एक अच्छा विचार दे कर जाए जिससे उनका जीवन संपन्न और सरल हो सके। स्वस्थ विचारों से ही व्यक्ति गरिमा पाता है, कुल का नाम रोशन करता है और इसके विपरीत तो हम सोच भी नहीं सकते हैं।
अगर हमने अपनी सोच में मानव जाति के कल्याण की बात रखी है, तो हम पाते हैं कि हमारे विचारों से, विचारों से पनपे कर्म से, दूसरों का कल्याण होता है, क्योंकि विचारों की कोई सीमा नहीं होती और विचारों में इतनी सारी ताकत होती है की वह व्यक्ति को फल प्रदान करने में सक्षम होती है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए क्या हमें एक बार भी यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें अच्छी सोच रखनी चाहिए? हां, हमें अच्छे ही विचार रखने चाहिए, जिससे हम आसमान की ऊंचाइयों को छू सकें।
हमें सफलता पाने के लिए सबसे पहले जो कार्य करना होता है, वह यह है कि हमें उस दिशा में एक अच्छी सोच बनानी चाहिए, उस कार्य को पूरा करने का हौसला होना चाहिए, सफलता खुद-ब-खुद कदम चूमती है। कोई भी साहित्यकार या उसकी लिखी रचनाएं भी तभी महान बनती हैं, जब उस साहित्यकार ने अपने साहित्य में अच्छे विचारों की बात रखी हो।साथ ही अच्छा राजनेता भी वही बन सकता है, जिसके पास प्रजा के लिए, अपने देश के लिए अच्छी भावनाओं का विचार हो।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हमें अपने जीवन में सत्य, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा, देश-भक्ति जैसे मूल्यवान विचारों को जगह देनी चाहिए, जिससे हम अपने साथ-साथ औरों का भी भला कर सकें और हमारा जीवन उनके काम आ सके क्योंकि यह भी एक विचार ही है कि ‘सच्चा जीवन वही जीता है, जो औरों के काम आता है’।
लेखक परिचय
शोधार्थी: विकास शि.कुम्भार
मुंबई विश्वविद्यालय,
मुंबई।
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