पंजाब के कैबिनेट मंत्रियों के समूह और किसान संघों के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही. किसान संघों ने दावा किया कि उन्हें कई मुद्दों पर सरकार से ठोस आश्वासन नहीं मिला. भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहन) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्राहन ने कहा कि राज्य सरकार ने किसानों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बातचीत करने के लिए उन्हें आमंत्रित किया था, जिसमें केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन भी शामिल है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘मैं इस्तीफा देने से नहीं डरता हूं. अगर मेरी सरकार बर्खास्त होती है तो भी मैं डरने वाला नहीं हूं, लेकिन मैं किसानों को नुकसान नहीं होने दूंगा, न उन्हें बर्बाद होने दूंगा.’ उन्होंने कहा कि मैंने 1984 में ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के मौके पर सिखों के साथ अन्याय को स्वीकार करने की बजाय सरकार छोड़ने का विकल्प चुना था.
केंद्र को सीधी चेतावनी देते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा, ‘अगर कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया जाता है, तो गुस्साए युवा, किसानों का साथ देने के लिए सड़कों पर उतर सकते हैं, अराजकता फैल सकती है. जिस तरह से चीजें चल रही हैं वे राज्य का शांतिपूर्ण माहौल बिगाड़ सकती हैं.’ उन्होंने कहा, ’80 और 90 के दशक में भी यही हुआ था जब सिख उग्रवाद ने पंजाब को जकड़ लिया था. चीन और पाकिस्तान राज्य के ऐसे हालातों का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे, जो पूरे देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करेगा.’