Sunday, May 5, 2024
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Tag: करुणाशंकर उपाध्याय

‘कुछ शब्द कुछ सपने’ का लोकार्पण सम्पन्न

प्रख्यात आलोचक एवं मुंबई विश्वविद्यालय के वरिष्‍ठ प्रोफेसर करुणाशंकर उपाध्याय द्वारा संपादित 'कुछ शब्द कुछ सपने ' का लोकार्पण प्रख्यात साहित्यकार चित्रामुद्गल के हाथों...

‘जयशंकर प्रसाद : महानता के आयाम’ प्रसाद को विश्व स्तर पर...

जयशंकर प्रसाद : महानता का आयाम ग्रंथ महाकवि जयशंकर प्रसाद को विश्व-स्तर पर प्रतिष्ठित करने वाला ग्रंथ है। इसमें आलोचक प्रोफेसर करुणाशंकर उपाध्‍याय ने...

करुणाशंकर उपाध्याय को आचार्य रामचंद्र शुक्ल सम्मान

मुंबई: 2 अगस्त 2022 को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने वर्ष 2021 के पुरस्कारों-सम्मानों की घोषणा की। इस बार 21 वीं शती के आचार्य...

‘ कथा साहित्य का पुनर्पाठ ‘ का लोकार्पण

मुंबई: 29 मई 2022 को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी द्वारा मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डाॅ.करुणाशंकर उपाध्याय की सद्यःप्रकाशित पुस्तक...

हिंदी ही है विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा 

   डाॅ.करुणाशंकर उपाध्‍याय  (प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय) आज हिंदी संपूर्ण विश्व में सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। इसका...

मध्यकालीन कविता का पुनर्पाठ पुनर्जागरण का कारक बनेगी – राज्यपाल कोश्यारी

मुंबई: 6 मार्च 2022 को महाराष्ट्र व गोवा के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के कर कमलों से मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर...

आज के सबसे बड़े आलोचक पर विमर्श

डाॅ. अरविंद द्विवेदी, चंडीगढ गत दिनों हिंदी की शीर्षस्थ साहित्यकार चित्रा मुद्गल ने करुणाशंकर उपाध्याय की सद्यःप्रकाशित पुस्तक मध्यकालीन कविता का पुनर्पाठ पर विश्व...

बीसवीं सदी के सर्वश्रेष्ठ रचनाकार हैं जयशंकर प्रसाद – करुणाशंकर उपाध्याय

मुंबई: 30 जनवरी 2021 को महाकवि जयशंकर प्रसाद जयंती के अवसर पर महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी, हिंदी विभाग मुंबई विश्वविद्यालय और महाकवि जयशंकर...

करुणाशंकर उपाध्याय आज के सबसे बड़े आलोचक हैं – चित्रा मुद्गल

विश्व हिंदी संगठन, नई दिल्ली द्वारा डाॅ.करुणाशंकर उपाध्याय की सद्यःप्रकाशित पुस्तक 'मध्य कालीन कविता का पुनर्पाठ' पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप...

आलोचक डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय – डॉ. आलोकरंजन पांडेय

डॉ. आलोकरंजन पांडेय  (हिंदी विभाग, रामानुजन महाविद्यालय, कालका जी, नयी दिल्ली) भारतीय परंपरा सदा-सर्वदा से ही गुरु अथवा शिक्षक के प्रति आस्थावान रही है।...

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