Tag: Dr. Amaldar Neehar
कल्पना और जल्पना के बीच का बीज सत्य (लघुकथा)
● डॉ. अमलदार नीहार
"और बताइये व्योमकेशजी! कैसे हैं..?""नमस्कार सर! आपकी मेहरबानी है साहब!""मेहर----बानी! हा-हा-हा-हा-हा। यह सब छोड़िये, वह तो आपकी ही है।"
"सर! आपने तो...
नाटक अभी जारी है (कहानी ) – डॉ.अमलदार नीहार
बात बहुत पुरानी है, शायद सात-आठ सौ बरस या उससे कुछ पहले की। तब हिमालय और समुद्र से घिरे इस विशाल भूभाग पर छोटी-छोटी...