दुनिया की पहली संभावित कोरोना वैक्सीन को रूस में मंजूरी मिलने के बाद अब इस वैक्सीन को अन्य देशों को उपलब्ध कराने और उन देशों में इसके उत्पादन को लेकर चर्चा चल रही है। कई बड़े देश और संगठन कोरोना वैक्सीन को लेकर फिलहाल रूस के संपर्क में हैं।
देश में किसी भी बाहरी देश की कोरोना वैक्सीन को लाने से पहले उसका ठीक तरह से परीक्षण किया जाना सबसे अहम हिस्सा है। भारत में विदेशी वैक्सीन को लाने से पहले उसका फेज-2 और फेज-3 ट्रायल किया जाता है।
WHO महानिदेशक के वरिष्ठ सलाहकार डॉ ब्रूस एल्वार्ड ने कहा, “इस समय रूस की वैक्सीन पर फैसला करने के लिए हमारे पास पर्याप्त सूचना उपलब्ध नहीं है. हम उस उत्पाद की स्थिति, परीक्षण के चरणों और आगे की रणनीति पर अतिरिक्त सूचना के लिए रूस से बातचीत कर रहे हैं.”
राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन ने कहा था कि वैक्सीन का एक डोज उनकी एक बेटी को दिया गया है. उसने बिना साक्ष्य के दावा किया कि वैक्सीन दो साल तक सुरक्षा प्रदान करेगी. हालांकि, वैक्सीन का अभी लोगों में उन्नत परीक्षण पूरा नहीं किया गया है. इस बीच रूस की Sputnik V वैक्सीन के प्रभाव और सुरक्षा को लेकर विशेषज्ञों की चिंता बरकरार है.