पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनातनी के बीच भारत ने पूर्वोत्तर के राज्यों में सैन्य ताकत को बढ़ा दिया है। भारत और चीन के सैनिकों के बीच जून के मध्य में हुई हिंसक झड़प के बाद, अरुणाचल प्रदेश से लगती दोनों देशों की सीमा पर और अधिक जवानों की तैनाती की गई है।
यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) की रिपोर्ट में कहा गया है कि लाइन ऑफ एक्चुएल कंट्रोल यानी एलएसी पर भारत ने चीन को जिस तरह से हैरान किया है उससे चीन को समझ नहीं आ रहा है कि वो इस स्थिति का सामना कैसे करे. दरअसल भारत ने पैंगोंग त्सो इलाके के दक्षिणी छोर पर ही नहीं उत्तरी किनारे पर भी मौजूद ऊंची पहाड़ियों पर अपने सैनिक तैनात कर दिए हैं और अचानक से चीन को हतप्रभ कर दिया है.
EFSAS ने कहा है कि चीन ने भारत-चीन के बीच एलएसी पर स्टेटस को बदलने की कोशिश की और गलवान वैली में इसके फलस्वरूप झड़प भी हुई जिसमें दोनों पक्षों को नुकसान हुआ है. हालांकि दोनों देश जब किसी कॉमन एग्रीमेंट पर राजी नहीं हो जाते हैं तब तक सीमा पर स्थिति तनावपूर्ण बनी रहेगी. यूरोपियन थिंक टैंक कहे जाने वाले EFSAS का ये भी कहना है कि अगर चीन एलएसी पर भारत के साथ विवाद को जल्द नहीं सुलझाता तो उसे इस मोर्चे पर ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ेगा.
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