सुप्रीम कोर्ट ने शाहीन बाग को लेकर लिया एक बड़ा फैसला कहा, “सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा स्वीकार नहीं”

शाहीन बाग जैसे धरनों को ध्यान में रखते हुए शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में बुधवार को कहा कि किसी निर्धारित जगह पर धरना-प्रदर्शन किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि लोगों को असहमति रखने और प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन इस तरह के धरना-प्रदर्शन से किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए।

शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाए जाने के करीब 7 महीने बाद दिए फैसले में कोर्ट ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन और विरोध में लोगों के विचार हैं. आज के दौर में सोशल मीडिया पर होने वाली चर्चा से भी भावनाएं और तेज़ होती हैं.  लेकिन एक अहम सड़क को लंबे अरसे तक रोक देना सही नहीं था.

जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा है, “संविधान के अनुच्छेद 19 1(a) के तहत अपनी बात कहना और 19 1(b) के तहत किसी मसले पर शांतिपूर्ण विरोध करना लोगों का संवैधानिक हक है. लेकिन इस अधिकार की सीमाएं हैं. सार्वजनिक जगह को अनिश्चितत काल तक नहीं घेरा जा सकता. दूसरे लोगों के आने-जाने को बाधित नहीं किया जा सकता. ऐसी स्थिति में प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए. इस मामले में भी कार्रवाई होनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा नहीं किया गया.”

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