किसानों के प्रदर्शन का यूपी में बीजेपी को होगा नुकसान, टिकैत के डटे रहने से पलटा आंदोलन का रुख

गाजीपुर बार्डर पर किसानों ने फिर से जुटना शुरु कर दिया है. ऐसी ही खबरें टिकरी और सिंघु बार्डर से भी आ रही हैं. यानि 26 जनवरी को लाल किले की प्राचीर से झंड़ा फहराने की गलती करने वाले किसान नये सिरे से संगठित हो रहे हैं. बड़ा सवाल खड़ा होता है कि अगर किसान लंबे समय तक आंदोलन करते हैं तो यूपी में खासतौर से पश्चमी यूपी में बीजेपी को क्या नुकसान हो सकता है.

बीकेयू के आह्वान पर आंदोलन में शामिल होने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, बागपत, बिजनौर, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद और बुलंदशहर जिलों से बड़ी संख्या में किसान शुक्रवार तड़के यूपी गेट पहुंचे, जबकि रात में यहां सुरक्षाबलों की संख्या को कम किया गया. गाजीपुर में यूपी गेट पर आमना-सामने होने की स्थिति बन रही है.

गाजियाबाद जिला मजिस्ट्रेट अजय शंकर पांडे और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी आधी रात को प्रदर्शनस्थल पहुंचे और वहां हालात का जायजा लिया. यहां गुरुवार से सैकड़ों सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. आधिकारिक निर्देशों के बाद पीएसी और आएएफ के जवानों समेत कई सुरक्षाकर्मी आधी रात को प्रदर्शन स्थल से चले गए थे. टिकैत अपने समर्थकों के साथ प्रदर्शन स्थल दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे पर डटे रहे. इस स्थान को दोनों ओर से बंद किया गया है और यहां सामान्य यातायात बाधित हो गया है.

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