(यूक्रेन पर रूस द्वारा किये गये हमले के संदर्भ में..)
नये तानाशाह पुतिन ने पोत दी है कालिख
मनुष्यता के उजले ललाट पर,
अपनी ताकत के नशे में चूर
कोई भी सनकी
नहीं सुन पाता किसी मासूम की चीख,
कातर करुण पुकार–हाहाकार
नहीं देख पाता किसी के आँसू,
महसूस नहीं कर पाता दर्दे-दिल का ताप
शोक-संताप, मूर्तिमान पाप-अभिशाप
भव्य नगर नव्य ध्वस्त कर देता है,
दुनिया का दारोगा नेता है, जेता है
उजाड़ डालता हैं आबाद बस्तियाँ
शिक्षा-सभ्यता और विकास के जीव्यमान स्तूप
अस्पताल और स्कूल हो जाते हैं कब्रगाह में तब्दील,
हँसती और खिलखिलाती सड़कें,
फलदार बाग-बगीचे, हरे-भरे खेत, कल-कारखाने,
अरुण तरुण धड़कनों में मुहब्बत के तराने,
आँगन में उतरती नंगे पाँव धूप,
फिसलती-पिघलती चाँदनी,
पुलकन से भरी दूब, सुकोमल कलियाँ,
रंगीन तितलियाँ, चहचहाते पंछी, उल्लसित चौपाये,
कुलाँचे भरते मृगछौने,
निर्भय फुदकते खरगोश और गिलहरियाँ,
उमंगों की अँगड़ाइयों में
नये रिश्तों के महकते सजीले ख्वाब,
सोनजुही, चम्पा, चमेली,गुलाब,
हवा में तैरती प्यार की खुशबू
बारूद के धुएँ से दम तोड़ देती है
मलबे में दबी हुई मनुष्यता
किसी घमण्डी तानाशाह के
अहंकार की चट्टान में दबकर
लेती है अन्तिम साँस
किसी की शहादत पर कर सकते हैं
कुछ पल के लिए गर्व बचे हुए लोग
पर मुरझाये मासूम चेहरे की मुस्कान कौन लौटायेगा?
कौन लौटा सकता है
बमों की छाँव में ज़िन्दगी की वो दिलरुबा बहार
ज्यों दफ़्न हो चुकी हो शताब्दियों की खोह में-अंबोह में,
क्या युद्ध का विकल्प चुना है आम आदमी ने?
किसी मुल्क की अल्हड़ नदियों का है यह निर्णय?
क्या समुन्दर की लहरों ने लिया है खतरनाक फैसला?
क्या निश्छल पेड़-पौधों ने कोई साजिश रची है?
मदमस्त हवाओं को कोई बैर है सरहदों से?
धरती-आकाश को कोई आपत्ति है क्या?
पशु-पक्षियों की भूख-प्यास ने कोई बड़ी बग़ावत की है?
क्या कभी राय ली किसी ने सूरज से?
निष्पाप चाँदनी से कब पूछा गया इस युद्ध के बारे में?
फिर अकेला कोई राष्ट्राध्यक्ष कैसे ले सकता है
किसी देश के मृत्युदण्ड का भयानक फैसला
दुनिया को नेस्तनाबूद करने का?
युद्ध एक भयानक अपराध है
सम्पूर्ण मानव जाति के प्रति,
समूची कायनात के खिलाफ़
उसे क्या नहीं मालूम?
लाशों की चिरायँध गन्ध के बीच
गुलाबी ख्वाब नहीं देख सकता कोई,
ये भयानक जुर्म ग़र रोक सको तो रोक लो।
रचनाकाल : 26 जनवरी, 2022
बलिया, उत्तर प्रदेश
[आखर-मोती-बीज (काव्य-संग्रह) : अमलदार ‘नीहार’]
परिचय
- डाॅ. अमलदार ‘नीहार’
अध्यक्ष, हिन्दी विभाग
श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया (उ.प्र.) – 277001
- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान और संस्कृत संस्थानम् उत्तर प्रदेश (उत्तर प्रदेश सरकार) द्वारा अपनी साहित्य कृति ‘रघुवंश-प्रकाश’ के लिए 2015 में ‘सुब्रह्मण्य भारती’ तथा 2016 में ‘विविध’ पुरस्कार से सम्मानित, इसके अलावा अनेक साहित्यिक संस्थानों से बराबर सम्मानित।
- अद्यावधि साहित्य की अनेक विधाओं-(गद्य तथा पद्य-कहानी, उपन्यास, नाटक, निबन्ध, ललित निबन्ध, यात्रा-संस्मरण, जीवनी, आत्मकथात्मक संस्मरण, शोधलेख, डायरी, सुभाषित, दोहा, कवित्त, गीत-ग़ज़ल तथा विभिन्न प्रकार की कविताएँ, संस्कृत से हिन्दी में काव्यनिबद्ध भावानुवाद), संपादन तथा भाष्य आदि में सृजनरत और विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित।
- अद्यतन कुल 13 पुस्तकें प्रकाशित, ४ पुस्तकें प्रकाशनाधीन और लगभग डेढ़ दर्जन अन्य अप्रकाशित मौलिक पुस्तकों के प्रतिष्ठित रचनाकार : कवि तथा लेखक।
सम्प्रति :
अध्यक्ष, हिंदी विभाग
श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बलिया (उ.प्र.) – 277001
मूल निवास :
ग्राम-जनापुर पनियरियाँ, जौनपुर