मुंबई: 2 अगस्त 2022 को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने वर्ष 2021 के पुरस्कारों-सम्मानों की घोषणा की। इस बार 21 वीं शती के आचार्य रामचंद्र शुक्ल कहे जाने वाले प्रख्यात आलोचक और मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डाॅ.करुणाशंकर उपाध्याय को उनकी पुस्तक ‘मध्यकालीन कविता का पुनर्पाठ’ पर प्रतिष्ठित आचार्य रामचंद्र शुक्ल सम्मान 2021 देने की घोषणा हुई है। ध्यातव्य है कि इस पुस्तक पर आयोजित परिचर्चा के अवसर पर ही शीर्ष साहित्यकार चित्रामुद्गल ने डाॅ. उपाध्याय को आज का सबसे बड़ा आलोचक कहा था। तदुपरांत हिंदी साहित्य भारती द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने इन्हें वर्तमान शती का आचार्य रामचंद्र शुक्ल और डाॅ.अरविंद द्विवेदी ने उपाध्याय को अज्ञेय के बाद हिंदी का सबसे बड़ा अंत: अनुशासनिक आलोचक कहा था। डाॅ.उपाध्याय को 75000/- रुपए की राशि, स्मृति चिह्न और प्रशस्ति-पत्र सम्मान स्वरूप प्रदान किया जाएगा।
डाॅ. करुणाशंकर उपाध्याय की अब तक 20 मौलिक आलोचनात्मक पुस्तकें और 12 संपादित पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। इनके राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में 400 के आस-पास आलेख-शोध-लेख प्रकाशित हुए हैं। इनके कुशल निर्देशन में अब तक 33 शोधार्थी पी.एच.डी. और 55 छात्र एम.फिल. कर चुके हैं। इसके पूर्व भी प्रोफेसर उपाध्याय को राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो दर्जन से अधिक सम्मान – पुरस्कार मिल चुके हैं। डाॅ.उपाध्याय को आचार्य रामचंद्र शुक्ल सम्मान मिलने के उपरांत जिस तरह सोशल मीडिया पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है, वह इनकी आलोचकीय लोकप्रियता का स्वयंसिद्ध प्रमाण है।
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा सम्मानित होने वाली अन्य महत्वपूर्ण विभूतियों में डाॅ.रमानाथ त्रिपाठी, डाॅ.बुद्धिनाथ मिश्र, डाॅ.गिरिराज शरण अग्रवाल, डाॅ.विश्वास पाटिल, डाॅ.रामशरण गौड, डाॅ.ओमप्रकाश मिश्र, हृदय नारायण दीक्षित, डाॅ.दयानिधि मिश्र, डाॅ.नरेश मिश्र, डाॅ.शची मिश्रा, गिरीश पंकज, डाॅ.नीरजा माधव, बलबीर पुंज, डाॅ.बीना शर्मा, डाॅ. रजनीश शुक्ल और श्यामल बिहारी श्यामल के नाम का समावेश है।