रतनकुमार पाण्डेय,
बनारस वरुणा (बरना) नदी और अस्सी के बीच बसे होने के कारण यह वाराणसी कहलाया। बाद में यह बोलचाल में घिसकर ‘बनारस’ हो...
इंद्रकुमार विश्वकर्मा,
समसामायिक हिंदी कविता गहरे सामाजिक सरोकारों की कविता है। वह मानवीय संबंधों के प्रति अतिशय संवेदनशील है। उसमें टुकड़ो में ही सही, लेकिन वर्तमान...
इंद्रकुमार विश्वकर्मा,
मानव रूप में जीवन बड़े ही सौभाग्य की बात है। आज संपूर्ण विश्व का आधिपत्य मानव के ही हाथ में है। मनुष्य का एक प्रबल...
अनभै का अंक सहधर्मी और सहचर की भूमिका में आपके हाथ में है। 'अनभै' की आवश्यकता क्यों? हिंदी में जब इतनी लघु और दीर्घ...
अपने एक उपन्यास में आलोचना के दृष्टिकोणों को विशद करते हुए गजानन माधव मुक्तिबोध ने एक ऐसे अंतर्ग्रन्थित समीक्षा की जरुरत बताई है जो...
इस्लाम धर्मावलंबी रमज़ान उल-मुबारक के महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्यौहार मनाते हैं जिसे ईद उल-फ़ित्र कहा जाता है। ये यक्म शवाल...
आधी सूखी रोटी पे था
नमक भी कम पड़ रहा
माँ ने पूछा लाल से
कौन है ये रच रहा?
पेट की न आग बुझी
प्यास भी अब जल...



































