मुंबई: 28-30 नवम्बर 2019 के मध्य मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग, श्री भागवत परिवार तथा गोरेगांव स्पोर्ट्स क्लब द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन सम्पन्न हुआ। इसका उद्घाटन महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के हाथों सम्पन्न हुआ। श्री कोश्यारी ने कहा कि राम इस देश की आत्मा हैं और उनके बिना इस देश की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने हिंदी विभाग के पचास वर्ष, गांधी जी के एक सौ पचास वर्ष और गुरुनानक देव के पांच सौ पचासवें वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन को विशेष रूप से उल्लेखनीय बताया। इस अवसर पर रमेश भाई ओझा ने कहा कि सच्चा शासक वह है जिसके पास सत्ता स्वयं जाए न कि वह जो स्वयं सत्ता के पास जाए। राम ऐसे ही शासक थे, जो हर युग के शासकों को प्रेरित और प्रभावित करते रहेंगे। मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.सुहास पेडणेकर ने राम के आदर्श रूप को वर्तमान युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय बताया।
कार्यक्रम के आरंभ में प्रति कुलपति डॉ.रवीन्द्र कुलकर्णी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए उनका परिचय दिया। जापान से पधारीं डॉ. तोमोको किकुचि ने भारत-जापान के ऐतिहासिक संबंध में रामकथा की भूमिका पर प्रकाश डाला और कहा कि जापान के साहित्य पर रामकथा और राम के चरित्र खा गहरा प्रभाव है। वीरेन्द्र याग्निक ने रामकथा के वैश्विक परिदृश्य पर अपने विचार रखे। इस अवसर पर सूत्र संचालन कर रहे मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ.करुणाशंकर उपाध्याय ने कहा कि रामायण और महाभारत इस देश के सांस्कृतिक व्यक्तित्व के निर्धारक महाकाव्य हैं। रामायण और रामचरितमानस विश्व प्रसिद्ध कालजयी महाकाव्य हैं जो भारतवर्ष के सर्वोत्तम आदर्शों का साकार विग्रह हैं। तुलसीदास ने राम को शक्ति, शील और सौंदर्य का समन्वित रूप माना है। मुंबई विश्वविद्यालय के कुलाधिपति नामित व्यवस्थापन परिषद सदस्य दीपक मुकादम ने उपस्थित अतिथियों को धन्यवाद दिया।
इसके उपरांत राम नाम मनि दीप धर शीर्षक से मंगलाचरण सम्पन्न हुआ जिसकी अध्यक्षता मारीशस से पधारे डॉ. राजेन्द्र अरुण ने की। इस सत्र में प्रमुख अतिथि के रूप में मस्तनाथ विश्व विद्यालय के कुलपति डॉ.रामसजन पांडेय तथा वक्ता के रूप में डॉ. तोमोको किकुचि (जापान), डॉ.नादेज्दा (रूस), सुरेश भगेरिया ने रामकथा के लोककल्याणकारी स्वरूप पर प्रकाश डाला। इस सत्र का संचालन डॉ.हनुमंत धायगुडे ने किया।
इसके उपरांत रामकाव्य के शैक्षणिक और साहित्यिक आयाम विषय पर डॉ.जगमोहन सिंह राजपूत की अध्यक्षता में पहला सत्र सम्पन्न हुआ, जिसमें डॉ.देवसिंह पोखरिया, डॉ.श्री निवास पांडेय, डॉ.करुणाशंकर उपाध्याय, डॉ.विनोद टिबड़ेवाल तथा सुनील केजरीवाल ने रामकाव्य के साहित्यिक महत्त्व का प्रतिपादन किया, जिसका संचालन डॉ.बिनीता सहाय ने किया। इसी क्रम में डॉ.सूर्यप्रसाद दीक्षित की अध्यक्षता में डॉ.जय प्रकाश शर्मा, डॉ.रामेश्वर सिंह (रूस), महावीर नेवेटिया ने रामकाव्य के दार्शनिक आयाम नामक दूसरे सत्र में अपनी बात रखी। प्रा.सुनील वल्वी ने इस सत्र का सफ़ल संचालन किया।
अगले दिन प्रातः10 बजे से जयंत कुमार बांठिया की अध्यक्षता में राम-राज्य में कुशल प्रशासन प्रबंधन की संकल्पना पर तृतीय सत्र सम्पन्न हुआ।इसमें मोतीलाल ओसवाल ने रामराज्य में प्रबंधन की संकल्पना पर अपने विचार रखे। न्यायमूर्ति श्यामशंकर उपाध्याय ने कहा कि धर्म का प्रयोग भारतीय चिंतन में विधि के शासन के रूप में ही हुआ है। राम लोकतांत्रिक शासक थे।जयंत कुमार बांठिया ने भूटान के शासन को राम-राज्य के निकट बतलाया। इस सत्र में सुशील कुमार केडिया और विनोद लाट ने भी अपने विचार रखे। इस सत्र का संचालन डॉ. आलोक रंजन पांडेय ने किया।
इसी क्रम में चतुर्थ सत्र के अंतर्गत डॉ.कैलाश चंद्र पंत की अध्यक्षता में रामकाव्य के सांस्कृतिक आयाम पर चर्चा हुई, जिसमें अश्विनी लोहानी, अखिलेंद्र मिश्र, विश्वनाथ सचदेव , रामेश्वर लाल काबरा तथा सत्यनारायण काबरा ने सारगर्भित विचार रखे, जिसका कुशल संचालन डॉ.दर्शन पांडेय ने किया। पंचम रामायण के नारी पात्र स्त्री विमर्श के संदर्भ त्रेता के महाकवि उद्भ्रांत की अध्यक्षता में डॉ.कुमुद शर्मा, डॉ. स्वामी.सूर्य प्रभा (लंदन), डॉ.श्वेता दीप्ति (नेपाल) तथा डाॅ.विनोद बाला अरुण (मारीशस) ने गंभीर विमर्श किया। इस सत्र का संचालन डॉ. अंशु शुक्ला ने किया।
दूसरे दिन सायं रमाकांत शर्मा उद्भ्रांत की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई, जिसमें सुन्दरचंद ठाकुर, माया गोविंद, दीक्षित दनकौरी, बुद्धिनाथ मिश्र, किरण मिश्र तथा बनमाली चतुर्वेदी ने काव्य पाठ किया। तीस नवंबर को प्रातः दस बजे से स्वामी धर्मेन्द्र जी की अध्यक्षता में सुरेश चतुर्वेदी, डॉ.सत्यकेतु सांकृत, सुरेश खंडेलिया, अजय याज्ञिक तथा घनश्याम पहलाजानी ने राम के वैश्विक स्वरूप को विश्लेषित किया। डॉ.सचिन गपाट ने अंतिम सत्र का संचालन किया।
इस तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन के अंत में डॉ.करुणाशंकर उपाध्याय ने आमंत्रित अतिथियों, प्रतिभागियों, श्री भागवत परिवार के अध्यक्ष एस.पी.गोयल और पदाधिकारियों तथा विश्वविद्यालय के अधिकारियों, सहयोगियों, कर्मचारियों, चराचर जगत की दृश्य-अदृश्य शक्तियों, मीडिया कर्मियों विशेष रूप से प्रवासी संदेश तथा न्यूज नेशन के प्रति हार्दिक आभार माना।
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