‘तुलसी साहित्य : वैश्विक मानव मूल्य’ पर द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार संपन्न

‌हिंदी विभाग, कला, वाणिज्य एवं विज्ञान शासकीय महाविद्यालय, सांखली, गोआ और राष्ट्रीय हिंदी पत्रिका ‘अनभै‘ के संयुक्त तत्वावधान में तुलसी साहित्य : वैश्विक मानव मूल्य पर द्वि-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार 27-28 जुलाई को आयोजित किया गया। वेबिनार के प्रारंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो जर्वासियो मेंडिस ने सभी विद्वानोँ का स्वागत किया। विषय प्रवर्तन राष्ट्रीय पत्रिका अनभै के संपादक प्रो.रतनकुमार पांडेय ने किया तथा तुलसी साहित्य के वैश्विक मूल्यों के विविध आयामों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन महा विद्यालय की हिंदी विभागध्यक्ष प्रो. सोनिया सिरसाट ने किया।

कार्यक्रम के प्रथम वक्ता प्रो. उमा शंकर दीक्षित, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा ने उच्च नैतिक मूल्य और रामचरित मानस पर अपना अभिमत दिया और बताया कि राम चरित मानस में किस तरह से नैतिक मूल्यों की स्थापना की गई है। इसके बाद डॉ.प्रमोद कुमार दुबे, एनसीईआरटी ने ‘तुलसी साहित्य : आचारण की श्रेष्ठता’ पर अपना अभिपत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने राम के माध्यम से तुलसी के साहित्य मेंआचरण की मर्यादा व मूल्यो के संवर्धन की बात बताई।

सेक्ली मेंटी केलिफोर्निया से जुड़े डॉ.अभिनव शुक्ल ने अपनी कविता व अभिपत्र के माध्यम से तुलसी साहित्य की वैश्विक दृष्टि पर व्यापक चर्चा की। इसके बाद डॉ.अवधेश राय (केंद्रीय विद्यालय संगठन) ने तुलसी साहित्य में समता और समरसता विषय पर अपना अभिपत्र प्रस्तुत किया और बताया कि किस तरह से तुलसी ने अपने साहित्य के माध्यम से अपने समय के धार्मिक व सामाजिक अंतर्विरोधों के बीच समन्वय स्थापित करके समाज में समता और समरसता की भावना को प्रतिष्ठित किया। इसके बाद वेबिनार के प्रतिभागियों ने वक्ता विद्वानो से परि चर्चा की। अंत मे डॉ सोनिया सिरसाट ने धन्य वाद ज्ञापन किया।‌

वेबिनार के दूसरे दिन 28 जुलाई को प्रथम अभिपत्र डॉ.रंगनाथ पाठक (अथिति आचार्य, हांकुक कोरिया यूनिवर्सिटी व यूनिवर्सिटी ऑफ वरसाव पॉलैंड) ने तुलसी साहित्य में राम राज्य की आकांक्षा बिषय पर व्यापक व गंभीर चर्चा की तथा राम राज्य के द्वारा विश्व शांति व आदर्श राज्य की कामना की । इसके बाद डॉ.ओम प्रकाश त्रिपाठी, चौगले कॉलेज गोआ ने सुरसरि सम सबके हित होई, लोकमंगल, लोकहित पर अपना परिपत्र प्रस्तुत किया और बताया कि राम चरित मानस में शुरू से अंत तक लोक मंगल की भावना व्याप्त है। वेबिनार के अंतिम वक्ता मास्को विश्वविद्यालय के आचार्य मक्ससीम देमबेंको रामचन्द्र ने रामकथा के माध्यम से अपने काशी और अयोध्या के शोध के अनुभवों पर प्रकाश डाला।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. कृपाशंकर पांडेय,इलाहाबाद विश्व विद्याल ने किया। उन्होंने वेबिनार की सफलता के लिए कार्य कर्म के आयोजको को बधाई दी तथा वक्ता विद्वानों केअभिपत्र की सराहना की। उन्होंने तुलसी साहित को विश्व चेतनाको जागृत करने वाला बताया तथा तुलसी साहित्य को विश्वकी अमूल्य धरोहर प्रतिस्थापित किया।

कार्य क्रम के अंत मे बड़ी संख्या मे प्रतिभागियों ने चर्चा में भाग लिया। देश के कोने -कोने से तथा विदेशों से बड़ी संख्या मे प्रतिभागी जुड़े थे। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सोनिया सिरसाट ने किया।

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