किसान आंदोलन का 32वां दिन, किसान संगठनों ने मोदी सरकार के साथ बातचीत करने का लिया फैसला

नए कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसान 32 दिन से दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं। किसान संगठन कानून वापसी पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि वे कानून में किसी भी तरह के संशोधन के लिए तैयार नहीं हैं, सरकार को इसे वापस ही लेना पड़ेगा।

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे 40 किसान यूनियनों के मुख्य संगठन संयुक्त किसान मोर्चा की एक बैठक में यह फैसला किया गया. इस फैसले से एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर दिया था कि उनकी सरकार अपने कटु आलोचकों समेत सभी से बातचीत के लिये तैयार है, लेकिन यह बातचीत ‘तर्कसंगत, तथ्यों और मुद्दों’ पर आधारित होनी चाहिये. उन्होंने केन्द्र और किसानों के बीच वार्ता में गतिरोध के लिये राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना भी साधा था.

इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी प्रदर्शनकारी किसानों से चर्चा के जरिए अपने मुद्दों का हल करने का आग्रह किया. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल को लिखे पत्र में मोर्चा ने कहा, “हम प्रस्ताव करते हैं कि किसानों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के बीच अगली बैठक 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे हो.”

इससे पहले शनिवार को किसान संगठन सरकार से बातचीत करने के लिए तैयार हो गए थे। संयुक्त किसान मोर्चा ने तय किया था कि बातचीत फिर शुरू की जाएगी। किसानों ने सरकार से मीटिंग के लिए 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे का वक्त दिया है, लेकिन 4 शर्तें रखी हैं।

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