ब्रिटेन में भारतीय समुदाय कोरोनावायरस महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित होने वाले समूहों में शामिल है. इंग्लैंड के अस्पतालों में कोविड-19 की वजह से हुई मौतों के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार यह जानकारी सामने आई है.
इस सप्ताह जारी हुए आंकड़ों में पाया गया कि ब्रिटेन में लॉकडाउन के शुरू में सभी समुदाय के लोगों को नींद से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ा. उम्र के हिसाब से वर्गीकरण करने के बाद पाया गया कि भारतीय समुदाय के एक तिहाई (36 प्रतिशत) लोगों में समस्या प्रमुख रही. इसकी तुलना में ‘श्वेत ब्रिटिश’ (23 प्रतिशत) और ‘अन्य श्वेत’ (18 प्रतिशत) लोगों में मानसिक समस्याएं देखने को मिलीं. अध्ययन में पहले से मौजूद स्थिति जैसे डायबिटीज और दिल की बीमारी, आर्थिक-सामाजिक फैक्टर पर भी प्रकाश डाला गया है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) इंग्लैंड द्वारा इस सप्ताह जारी किए गए आंकड़े बताते हैं कि 17 अप्रैल तक अस्पतालों में कोरोनावायरस से मरने वाले 13,918 रोगियों में 16.2 प्रतिशत मरीज अश्वेत समुदाय, एशियाई और अल्पसंख्यक जातीय (बीएएमई) पृष्ठभूमि के थे जिनमें भारतीय मूल के लोगों की संख्या 3 प्रतिशत है.
‘सस्टेनेबिलिटी एंड इनक्वालिटी डिवीजन’ के उप निदेशक ग्लेन एवरेट ने कहा, “नए रिसर्च से हमें पता चला है कि किस प्रकार विभिन्न सामुदायिक समूहों पर पड़ने वाला प्रभाव परिवर्तित हुआ और महामारी से पहले की लोगों की परिस्थितियों में लॉकडाउन के दौरान उनका अनुभव कैसा रहा.”