म्यांमार में तख्तापल के बाद सैन्य सरकार की क्रूरता बढ़ती जा रही है । एक रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार में सेना द्वारा अब तक कई लोकतंत्र समर्थकों की हत्या के अलावा इंटरनेट से जुड़ सभी सेवाएं बंद कर रखी हैं। म्यांमार की इस क्रूरता में मानवाधिकारों के हनन के लिए मशहूर चीन उसका भागीदार बना हुआ है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि CH-3A ड्रोन का इस्तेमाल आमतौर पर हवा से निगरानी करने, तस्वीरें लेने और डाटा एकत्रित करने के लिए होता है, जिससे सेना को योजनाओं पर काम करने में मदद मिलती है. इससे उसे फैसला लेने में आसानी होती है और किसी भी विद्रोही समहू या आतंकियों के खिलाफ अभियान चलाना भी आसान हो जाता है.
‘ऐसी संभावना है कि ड्रोन का इस्तेमाल मांडले में जमीनी हकीकत जानने के लिए हुआ था. ताकि ये भी पता चल जाए कि लोग क्या कर रहे हैं और उन्हें नियंत्रित करने के लिए कितने सैन्यबल की जरूरत है.’ ड्रोन तैनात करने का एक और उद्देश्य लोगों को डराना भी था.
चीन तेजी से हथियार सप्लाई करने वाले देश के तौर पर उभर रहा है. रिसर्च पेपर्स में ये बात कही गई है कि जब से चीन ने आर्म्ड ड्रोन निर्यात करना शुरू किया है, तब से गैर-लोकतंत्र देशों में लोकतांत्रित देशों के मुकाबले ड्रोन इस्तेमाल करने की होड़ अधिक बढ़ी है.