स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में घटित चौरी चौरा की घटना को देश कभी नहीं भूल सकता। देश की आजादी के घटनाक्रम में चौरी चौरा कांड अहम है। आज से ठीक 100 साल पहले 4 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा की घटना हुई थी।
प्रधानमंत्री ने यहां चौरी-चौरा शताब्दी समारोह का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन करने के बाद कहा, ‘सौ वर्ष पहले चौरी-चौरा में जो हुआ, वह सिर्फ एक थाने में आग लगा देने की घटना मात्र नहीं थी। चौरी चौरा का संदेश बहुत बड़ा था, बहुत व्यापक था। पहले जब भी चौरी चौरा की बात हुई, तब उसे एक मामूली आगजनी के संदर्भ में ही देखा गया लेकिन आग थाने में नहीं लगी थी, बल्कि आग जन-जन के दिलों में प्रज्ज्वलित हो चुकी थी।’
उन्होंने कहा, ‘चौरी चौरा देश के सामान्य नागरिक का स्वत: स्फूर्त संग्राम था। यह दुर्भाग्य है कि चौरा चौरा के शहीदों की जितना चर्चा होनी चाहिए थी, वह नहीं हुई। इन क्रांतिकारियों को इतिहास के पन्नों में भले ही प्रमुखता से जगह ना दी गई हो लेकिन आजादी के लिए उनका खून देश की माटी में जरूर मिला हुआ है, जो हमें हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।’
जिसने पूरे देश हो हिला कर रख दिया था। इसी घटना के बाद महात्मा गांधी ने अपने असहयोग आंदोलन को खत्म कर दिया था। चौरी चौरा घटना के 100 साल पूरे होने के मौके पर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार शताब्दी समारोह मना रही है।