कबीरचौरा महिला अस्पताल में नवजात की मौत पर परिजनों ने किया हंगामा, डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन पर लगाया लापरवाही का आरोप

कबीरचौरा महिला अस्पताल

वाराणसी। कबीरचौरा स्थित श्री शिव प्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय के महिला अस्पताल में गुरुवार को एक नवजात की मौत होने पर परिजनों ने हंगामा कर दिया। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर की लापरवाही से शिशु की मौत हुई है। परिजनों ने आरोपी डॉक्टर पर एफआईआर कर कड़ी कार्रवाई करने व उसे सस्पेन्ड करने की मांग की है। सूचना पर पहुंची पुलिस ने परिजनों को समझाकर शांत कराया।

नवजात के पिता रविशंकर कन्नौजिया ने बिलखते हुए बताया कि 23 तारीख को नदेसर निवासी उनकी पत्नी संगीता की डिलीवरी कबीरचौरा महिला अस्पताल में हुई थी। डिलीवरी के बाद बच्चे की तबियत बिल्कुल ठीक थी और डॉक्टर ने बच्चे को पूरी तरह से स्वस्थ बताया था। छठे दिन अचानक तबीयत खराब होने के बाद उन्होंने डॉक्टरों से बच्चे की जाँच करने के लिए बार-बार निवेदन किया, पर अस्पताल ने इसे नजरंदाज करने हुए बालक को पूरी तरह से स्वस्थ बताया। लेकिन बच्चे की तबीयत बिगड़ती गई और घंटे भर के अंदर ही हमने उसे खो दिया।

संगीता के भाई अजय ने बताया, “दोपहर बाद बच्चे की तबीयत अचानक खराब हुई तो हम लोगों ने डॉक्टर से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है, उसे मां का दूध पिलाइये। कई बार बोलने के बावजूद उन्होंने बच्चे की तबियत को गंभीरता से नहीं लिया और लापरवाही दिखाई। आधे ही घंटे बाद पता चला कि बच्चा नहीं रहा। एक दिन पहले भी अस्पताल में इसी तरह एक बच्चे की मौत हुई थी। अस्पताल वालों को मरीजों की कोई चिंता नहीं है, वे केवल धनउगाही में लगे हैं। यदि डॉक्टर ने समय पर इलाज किया होता तो बच्चा बच जाता। ऐसे लापरवाह डॉक्टर को तुरंत सस्पेंड कर देना चाहिए, ताकि और किसी के साथ ऐसा न हो।”

कबीरचौरा महिला अस्पताल

बच्चे के परिजनों का आरोप है कि पैसे न देने पर डॉक्टरों ने जानबूझकर ऐसी लापरवाही की है। मौके पर पहुंचे एसीपी कोतवाली ने बताया कि परिजनों ने संबंधित आरोपित डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर और कड़ी कार्रवाई की मांग की है। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर को बच्चे की हालत बताने के बाद भी नजरअंदाज किया गया। इस संबंध में सीआईसी से बात करने पर उन्होंने बताया कि मामले की जांच की जाएगी।

एसीपी ने कहा कि परिजनों की तहरीर के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। एप्लीकेशन को सीएमओ को फारवर्ड किया जाएगा, जिसके बाद टीम गठित होगी। जांच में अगर कोई डॉक्टर या अस्पताल कर्मी दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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