चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की कक्षा में परिक्रमा करते हुए एक वर्ष किया पूरा, इस दिन हुई थी लॉन्चिंग

चंद्रयान -2, चांद पर पहुंचने वाले देश का दूसरा अभियान, एक साल पूरा कर चुका है। यान पिछले 12 महीनों से चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। देश की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का कहना है कि वर्तमान में यह अच्छी तरह से काम कर रहा है और वाहन में अभी भी सात वर्षों तक चंद्रमा के चारों ओर यात्रा करने के लिए पर्याप्त ईंधन है।

अगस्त, 2019 को सुबह 9:02 मिनट पर चंद्रयान-2 के तरल रॉकेट इंजन को दाग कर उसे चांद की कक्षा में पहुंचाया था। उसके बाद 7 सितम्बर को चांद पर फाइनल लैंडिंग होनी थी। चांद पर उतरने के लिए विक्रम लैंडर ने अपनी प्रक्रिया रात 1:40 बजे शुरू की थी। इसरो वैज्ञानिकों के लिए 35 किमी. की ऊंचाई से चांद के दक्षिणी ध्रुव पर इसे उतारना बेहद चुनौतीपूर्ण था। रात 1:55 बजे विक्रम लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद दो क्रेटर मैंजिनस-सी और सिंपेलियस-एन के बीच मौजूद मैदान में सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी।

चंद्रमा पर लैंडिंग के दौरान 07 सितम्बर,2019 की रात में चंद्रमा की सतह से केवल 2.1 किमी. ऊपर चंद्रयान-2 का लैंडर विक्रम रास्ता भटककर अपनी निर्धारित जगह से लगभग 500 मीटर की दूर अलग चंद्रमा की सतह से टकरा गया जिसके बाद से इसरो का संपर्क टूट गया। इसरो वैज्ञानिकों के मुताबिक़ लैंडर विक्रम की हार्ड लैंडिंग होने की वजह से वह एक तरफ झुक गया, जिससे उसका एंटीना दब गया। लैंडर का कम्युनिकेशन लिंक वापस जोड़ने के लिए उसका एंटीना ऑर्बिटर या ग्राउंड स्टेशन की दिशा में करना बेहद जरूरी था लेकिन वैज्ञानिकों को काफी कोशिश करने के बावजूद इसमें कामयाबी नहीं मिल सकी।

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