लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन एजुकेशन इंडस्ट्री को काफी फायदा मिला है। इस दौरान ऑनलाइन क्लासेज के रजिस्ट्रेशन में करीब 100 गुना का इजाफा दर्ज किया जा रहा है। इस तरह के आंकड़े कई संस्थानों को ऑनलाइन एजुकेशन की दिशा में प्रोत्साहित कर रहे हैं। साथ ही ऑनलाइन एजुकेशन की दिशा में इनोवेशन को बल दे रहे हैं।
एजुकेशन सेक्टर से जुड़ी सेरेस्ट्री वेंचर्स की तरफ से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार ब्रिकी के लिए रखे गए ज्यादातर स्कूलों की सालाना फीस 50 हजार रुपये है। इसके मुताबिक भारत के करीब 80 फीसदी छात्र इन्हीं फीस स्लैब वाले स्कूलों में पढ़ते हैं।
सेरेस्ट्रा में पार्टनर विशाल गोयल के अनुसार महामारी के दौरान कई राज्य सरकारों ने फीस लेने की सीमा तय कर दी है जबकि शिक्षकों की सैलरी के अलावा दूसरे खर्चें हो रहे हैं। इस वजह से निजी स्कूलों की माली हालत खस्ता हो गई है। उन्होंने कहा कि एक बड़े स्कूल चेन को अपने स्टाफ की सैलरी 70 फीसदी तक घटानी पड़ी है।