महाकवि जयशंकर प्रसाद द्वारा व्याख्यान एवं लाइव पेंटिंग का आयोजन

डॉ. सुनीलकुमार विश्वकर्मा

महाकवि जयशंकर प्रसाद फाउंडेशन ने आज महात्मा गांधी के 150 वें जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में ‘आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना और गांधी का चरखा’ विषय पर व्याख्यान एवं लाइव पेंटिंग कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसका विभिन्न चैनलों और फेसबुक तथा यू-ट्यूब पर सीधा प्रसारण हुआ। कार्यक्रम के आरंभ में फाउंडेशन के प्रबंध न्यासी विजय शंकर प्रसाद ने अतिथियों का स्वागत किया और गांधीजी को वैश्विक विभूति बताया। उन्होंने कहा कि आइन्सटीन जैसे वैज्ञानिक भी गांधीजी से प्रभावित थे। मुंबई विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डॉ.करुणाशंकर उपाध्याय ने ‘आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना और गांधी का चरखा’ विषय पर एक घंटे का व्याख्यान दिया जिसे सुनते हुए ललित कला अकादमी, भारत सरकार के सदस्य डॉ. सुनीलकुमार विश्वकर्मा ने लाइव पेंटिंग बनाई। डॉ.उपाध्याय ने अपने वक्तव्य में कहा कि गांधीजी जानते थे चक्की, चूल्हा और चरखा भारतीय संस्कृति तथा अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग है। अतः उन्होंने उसे स्वदेशी का मूलमंत्र बनाया। उसे वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का प्रतीक बनाया। 

गांधीजी ने स्वाधीनता संग्राम के कठिन संघर्ष के दिनों में चरखे को स्वरोजगार और आर्थिक स्वावलम्बन का प्रतीक बनाया।वे चरखे द्वारा देश की अर्ध बेकार स्त्रियों को काम दिलाना चाहते थे। आज जब हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे हैं तो यह प्रकारांतर से गांधीजी के सपने को साकार करने जैसा है। आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना गांधीजी के स्वदेशी का ही नया रूप है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा था कि हमें लोकल चीजों को लेकर वोकल होना होगा। प्रधानमंत्री जी ने आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार करने के लिए 5 स्तंभ बतलाए जिसमें अर्थव्यवस्था, मूलभूत ढांचा, सुव्यवस्थित प्रणाली, जीवंत लोकतंत्र और मांग का समावेश है।

डॉ. उपाध्याय ने आगे कहा कि भारत इस समय विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थ व्यवस्था एवं चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है। यदि हमें 2024-2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है तो इसके लिए निर्यात को बढ़ावा देना होगा। हम स्वदेशी उत्पादों को विश्वस्तरीय बनाकर और उसे वैश्विक स्पर्धा में उतारकर ही आत्मनिर्भर बन सकता है। डॉ.उपाध्याय ने भारत के आयात-निर्यात का विस्तृत ब्यौरा देते हुए बताया कि हमारा सबसे बड़ा व्यापार घाटा चीन के साथ है जो पिछले छः सालों में 20 लाख करोड़ रुपये का है। आज भारत विश्व के 190 देशों को 7500 वस्तुएं निर्यात करता है और 140 देशों से  6000 वस्तुएं खरीदता है। हमें रक्षा एवं अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपने निर्यात को बढ़ावा देना होगा। अब तकनीक माइक्रो से नैनो हो रही है अतः हमें अंतरिक्ष और साइबर युद्ध के लिए भी तकनीकी तौर पर तैयार होना होगा। वर्तमान सरकार का मेक इन इंडिया कार्यक्रम सही दिशा में चल रहा है। उपाध्याय ने महात्मा गांधी और महाकवि जयशंकर प्रसाद की भेंट का भी जिक्र किया। जब गांधीजी 1932 में भारत माता मंदिर के उद्घाटन के अवसर पर काशी गए थे तब प्रसाद जी उनसे मिले थे और गीता की प्रति भेंट की थी। प्रसादजी ने कामायनी महाकाव्य में चरखे के बजाय श्रद्धा से तकली चलवाई है।

डॉ. उपाध्याय के व्याख्यान को आधार बनाकर प्रख्यात कलाकार डॉ.सुनील कुमार विश्वकर्मा ने एक अद्भुत और सजीव पेंटिंग बनायी जिसे जुड़े हुए अतिथियों एवं दर्शकों ने खूब सराहा। यह अपने ढंग का अद्भुत और अनूठा आयोजन था, जिसमें एक गंभीर व्याख्यान को आधार बनाकर एक प्रतिष्ठित कलाकार द्वारा लाइव पेंटिंग बनायी गयी। इस कार्यक्रम का सुंदर संचालन मेघा शर्मा ने किया और अतुल कुमार ने आभार ज्ञापन किया। फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. रमा ने अपनी शुभकामनाएं प्रेषित कीं। इसे देश-विदेश के हजारों दर्शकों ने प्रत्यक्ष देखा।

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