एमएनएस की गुंडागर्दी : मनसे कार्यकर्ताओं ने उत्तर भारतीय फेरीवालों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा

एमएनएस

महाराष्ट्र में फिर एक बार महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की गुंडागर्दी शुरू हो गई है। राज ठाकरे ने रेल अधिकारियों को 15 दिन के अंदर रेलवे परिसर से अवैध फेरीवालों को हटाने की धमकी दी थी। 20 अक्टूबर तक जब रेलवे अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया, तो शनिवार को बड़ी संख्या में एमएनएस के कार्यकर्ता मुंबई से सटे ठाणे स्टेशन के बाहर पहुंचे और उन्होंने फेरीवालों को पीटना शुरू कर दिया।

अक्टूबर की शुरुआत में ही राज ठाकरे ने पुलिस, प्रशासन और अदालती आदेश की परवाह किए बिना चर्चगेट से मोर्चा निकाला था। राज ने चर्चगेट की भरी सभा में रेलवे को खुलेआम चुनौती दी थी कि अगर 15 दिन में रेलवे स्टेशनों के आस-पास से फेरीवालों को नहीं हटाया गया, तो 16वें दिन उनकी पार्टी के कार्यकर्ता खुद यह काम करेंगे।

राज की इस ललकार के बाद समूचा रेलवे प्रशासन, रेलवे परिसरों से फेरीवालों को हटाने में जुट गया था और रोज कमाने-खाने वाले फेरीवाले, रेलवे परिसरों के आस-पास धंधा लगाकर परिवार पालने वाले और उन पर आश्रित हजारों लोगों की रोजी-रोटी छीन ली गई थी।

शनिवार को 16वें दिन राज ठाकरे की ललकार का बुरा चेहरा सामने आया जब एमएनएस के कार्यकर्ताओं ने ठाणे में उत्तर भारतीय फेरीवालों के साथ न सिर्फ मारपीट की, बल्कि उनका सामान फेंक दिया और तोड़फोड़ भी की।

जानकारों का कहना है कि राज ठाकरे की जवाबदेही इस बात पर भी बनती है कि हिंसा और मारपीट को समाधान का आधार क्यों बनाया जा रहा है। राज इस बात की मांग कर सकते हैं कि 2014 से जो फेरीवाला कानून पास होकर पड़ा है, उसे लागू किया जाए। अगर राज्य में एक बार फेरीवाला कानून लागू हो गया, तो कानूनन फेरीवालों के लिए हॉकर्स जोन निर्धारित हो जाएंगे। उसके बाहर अगर कोई फेरीवाला धंधा करेगा, तो उसे किसी का समर्थन नहीं मिलेगा।

2005 में एमएनएस का गठन करने के बाद जब राज ठाकरे को सफलता नहीं मिली, तब राज ठाकरे ने 2008 में मराठी अस्मिता के नाम पर उत्तर भारतीयों के खिलाफ बड़ा आंदोलन चलाया। उत्तर भारतीयों की पिटाई करना, रेल की परीक्षा के लिए महाराष्ट्र आने वाले युपी-बिहार के छात्रों की पिटाई करना, उत्तर भारतीयों को जबरन महाराष्ट्र से मारपीट कर भगाने जैसे आरोप में राज ठाकरे के खिलाफ कई मामले भी दर्ज हुए।

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