प्रजनन करते रोबोट!

Breeding Robots

कुछ वर्ष पहले युनिवर्सिटी ऑफ वर्मान्ट, टफ्ट्स युनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकली इंस्पायर्ड इंजीनियरिंग और हारवर्ड युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अफ्रीकी नाखूनी मेंढक (ज़ेनोपस लाविस) की स्टेम कोशिकाओं से एक मिलीमीटर का रोबोट तैयार किया था। इसे ज़ेनोबॉट नाम दिया गया। प्रयोगों से पता चला कि ये छोटे-छोटे पिंड चल-फिर सकते हैं, समूहों में काम कर सकते हैं और अपने घाव स्वयं ठीक भी कर सकते हैं। ( Breeding Robots )

अब वैज्ञानिकों ने इन ज़ेनोबॉट में प्रजनन का एक नया रूप खोजा है जो जंतुओं या पौधों के प्रजनन से बिल्कुल अलग है। वैज्ञानिक बताते हैं कि मेंढकों में प्रजनन करने का एक तरीका होता है जिसका वे सामान्य रूप से उपयोग करते हैं। लेकिन जब भ्रूण से कोशिकाओं को अलग कर दिया जाता है तब वे कोशिकाएं नए वातावरण में जीना सीख जाती हैं और प्रजनन का नया तरीका खोज लेती हैं। मूल ज़ेनोबोट मुक्त स्टेम कोशिकाओं के ढेर बना लेते हैं जो पूरा मेंढक बना सकते हैं।

दरअसल, स्टेम कोशिकाएं ऐसी अविभेदित कोशिकाएं होती हैं जिनमें विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में विकसित होने की क्षमता होती है। ज़ेनोबॉट्स बनाने के लिए शोधकर्ताओं ने मेंढक के भ्रूण से जीवित स्टेम कोशिकाओं को अलग करके इनक्यूबेट किया। आम तौर पर माना जाता है कि रोबोट धातु या सिरेमिक से बने होते हैं। लेकिन वास्तव में रोबोट का मतलब यह नहीं होता कि वह किस चीज़ से बना है बल्कि रोबोट वह है जो मनुष्यों की ओर से स्वयं काम कर दे।

अध्ययन में शामिल शोधकर्ता जोश बोंगार्ड के अनुसार यह एक तरह से तो रोबोट है लेकिन यह एक जीव भी है जो मेंढक की कोशिकाओं से बना है। बोंगार्ड बताते हैं कि ज़ेनोबॉट्स शुरुआत में गोलाकार थे और लगभग 3000 कोशिकाओं से बने थे और खुद की प्रतियां बनाने में सक्षम थे। लेकिन यह प्रक्रिया कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में ही हुई। ज़ेनोबॉट्स वास्तव में ‘काइनेटिक रेप्लिकेशन’ का उपयोग करते हैं जो आणविक स्तर देखा गया है लेकिन पूरी कोशिका या जीव के स्तर पर पहले नहीं देखा गया।

इसके बाद शोधकर्ताओं ने कृत्रिम बुद्धि (एआई) की मदद से विविध आकारों का अध्ययन किया ताकि ऐसे ज़ेनोबॉट्स बनाए जा सकें जो अपनी प्रतिलिपि बनाने में अधिक प्रभावी हों। सुपरकंप्यूटर ने C-आकार का सुझाव दिया। शोधकर्ताओं ने पाया कि यह C-आकार पेट्री डिश में छोटी-छोटी स्टेम कोशिकाओं को खोजकर उन्हें अपने मुंह के अंदर एकत्रित कर लेता था। कुछ ही दिनों में कोशिकाओं का ढेर नए ज़ेनोबॉट्स में परिवर्तित हो गया।

शोधकर्ताओं के अनुसार (PNAS जर्नल) आणविक जीवविज्ञान और कृत्रिम बुद्धि के इस संयोजन का उपयोग कई कार्यों में किया जा सकता है। इसमें महासागरों से सूक्ष्म-प्लास्टिक को एकत्रित करना, जड़ तंत्रों का निरीक्षण और पुनर्जनन चिकित्सा जैसे कार्य शामिल हैं।

इस तरह स्वयं की प्रतिलिपि निर्माण का शोध चिंता का विषय हो सकता है लेकिन शोधकर्ताओं ने स्पष्ट किया है कि ये जीवित मशीनें प्रयोगशाला तक सीमित हैं और इन्हें आसानी से नष्ट किया जा सकता है।

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