Monday, November 25, 2024
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Tag: हूबनाथ पांडेय की कविता संभवामियुगेयुगे

संभवामियुगेयुगे ( कविता ) – हूबनाथ पाण्डेय

त्राहि माम करुणानिधानधरित्री विकल हैविह्वल है सृष्टि सारीकीड़े-मकोड़ों की भांतिमर रहे हैं लोगन ज्ञानी कुछ कर पा रहेन विज्ञानी हीसब खोए हुए हैंक़िस्सो- कहानियों...

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