Tag: हूबनाथ पांडेय की कविता संभवामियुगेयुगे
संभवामियुगेयुगे ( कविता ) – हूबनाथ पाण्डेय
त्राहि माम करुणानिधानधरित्री विकल हैविह्वल है सृष्टि सारीकीड़े-मकोड़ों की भांतिमर रहे हैं लोगन ज्ञानी कुछ कर पा रहेन विज्ञानी हीसब खोए हुए हैंक़िस्सो- कहानियों...