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मणिकर्णिका का अंतिम संस्कार (कविता) – हूबनाथ पाण्डेय
सदियों से
लाशों का बोझ ढोते-ढोते
थक गई थी
मणिकर्णिका
रुदन शोक यातना
पीड़ा की कर्मनाशा में
बहते-बहते
बहुत दूर निकल आई थी
बहुत दूर
लाशों की राखों के
पहाड़ का सीना चीरकर
पंख फड़फड़ाकर
नई...
कवि हूबनाथ पाण्डेय की पाँच कविताएं
1. दुख
दुख
बसंत सरीखे आते थे
पत्तों के बीच से
झाँकते थे बौर आम के
कहीं अमलतास
कानों में पीले झुमके झुलाता
सकुचाया अशोक
अपनी लाली छिपाता
धीरे धीरे
बसंत की तरह खिलता...
ओ जीज़स! – हूबनाथ पाण्डेय
तुमने कहा था
लौटोगे तुम
हमने प्रतीक्षा की
हज़ारों वर्ष
हमने कुछ नहीं किया
सिर्फ़ प्रतीक्षा की
कि तुम आओगे
हमारे पापों को
अपने सिर लेकर
हमें मुक्ति दोगे
इसलिए
हमने सिर्फ़ पाप किए
और प्रतीक्षा...
एक प्रेम कविता – हूबनाथ पाण्डेय
शादी में लिया कर्ज़ चुकाने
फागुन में शहर आया
लाॅक डाउन की माया
मिलते ही
रोज़गार गंवाया
भूख से बचने
बैग उठाया और चल दिया
पंद्रह सौ किलोमीटर पैदल
कभी किसी ट्रक...