Tag: Poem by Hubnath Pandey
अभी ज़िंदगी शुरू नहीं हुई (कविता) – हूबनाथ पांडेय
अभी अभीजंगलों से निकले हैंकाफ़िलेनंगे भूखे आदिमानवों केअभी अभीखोजी है आगभूनना भर सीखा हैपर अनाज नहीं हैफलों का मौसम दूर हैवनस्पतियां झुलस गई हैंआसमान...
मज़दूर (कविता ) – हूबनाथ पांडेय
पृथ्वी को उसके अक्ष पर
घुमाता रहता है
सूरज को खींच कर
हर रोज़ ला पटकता है
पूरबी छोर पर
धरती की कोख से
खोद निकालता है प्राण
लोहे...