Tag: Susheela Rohila Sonipat Hariyana
बसंत (कविता) – सुशीला रोहिला
बंसत की बहार छाई ,
पत्ता-पत्ता हो गया हरा
उपवन महक उठा
चमन खिल गया सारा
सर्दी की ठिठुरन
कष्टो भरा था दामन
खुले नभ की गहनता
संघर्षों का था साया
उम्मीद...