लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शहरों के बाद अब गावों में भी कोरोना कहर बरपा रहा है। गांवों में बुखार, कोरोना और इसके लक्षण वाले मरीजों की मौतों से दहशत है। हर गांव में हर दिन किसी न किसी की मौत की खबर आ रही है। प्रदेश के कई जिलों में तो गांवों के हालात काफी चिंताजनक हैं। बुलंदशहर के एक गांव में पिछले डेढ़ महीने में 28 लोगों की मौत हो चुकी है। कमोवेश ऐसे ही हालात प्रदेश के अन्य जिलों के भी हैं। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों में चलाया जा रहा अभियान भी बेअसर साबित हो रहा है।
प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में कोरोना के कहर के बावजूद बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं नदारद हैं। मेडिकल स्टोर पर दवाओं की किल्लत है। डॉक्टरों से सलाह लेने की बजाए ज्यादातर लोग मेडिकल स्टोर से पूछकर दवाएं ले रहे हैं। इसके चलते दवा की दुकानों पर सुबह से शाम तक सबसे ज्यादा भीड़ देखने को मिल रही है। ज्यादातर संक्रमित अपने घर पर रहकर की इलाज करवा रहे हैं। कई गांवों से लोगों के बीमार होने और अचानक मौत होने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं।
ग्रामीण इलाकों में कोरोना से हो रही मौतों के बावजूद तमाम गांवों में लोग जांच से इंकार कर रहे हैं। गरीब और पिछड़े तबके के लोग बीमारी और मौतों की वजह कोरोना को नहीं मान रहे हैं। एक समुदाय विशेष के शहरी लोग भी कोरोना को अफवाह बता रहे हैं। तमाम लोग कोरोना के बारे में सवाल पूछने पर ही नाराज़ हो जाते हैं। बताते चलें कि कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में गत पांच मई से विशेष जांच अभियान भी चलाया जा रहा है।
कोरोना के चलते हो रही बेशुमार मौतों के बीच प्रदेश सरकार का दावा है कि कोरोना की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीमें ग्रामीण इलाकों में घर-घर जा रही हैं। अब तक 48 लाख 63 हज़ार 298 लोगों के घर टीम पहुंच चुकी है। इनमें 68 हज़ार 1 सौ 9 लोगों में कोरोना के मामूली लक्षण पाए गए। सहगल ने बताया कि इन सभी को दवाइयां दे दी गई हैं। इन सब के बीच लगातार हो रही मौतों से लो दहशत में हैं।
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