कानपुर: दीपावली की रात को दो भाइयों में झगड़े की सूचना पुलिस को दी गई। जिसमें पुलिस स्टेशन के लापरवाह अधिकारी ने मामले को हलके में लिया। जिसके बाद एक भाई विजय गुप्ता की निर्मम हत्या कर दी गई। हत्या के बाद स्थानीय पुलिस प्रशासन की आँख खुली और फौरन कार्यवाई में जुट गई। वहीं कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में हत्या के मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
जानकारी के मुताबिक बीते 27 अक्टूबर को दीपावली की रात को डिप्टी पड़ाव निवासी पत्रकार विजय गुप्ता और उसके भाई मनोज में जमीनी विवाद को लेकर झगड़ा हो गया था, जिसपर विजय गुप्ता के भाई मनोज ने उसको जान से मारने और गायब कराने की धमकी दी थी। इसके बाद विजय गुप्ता ने थाना रायपुरवा के प्रभारी रमाकांत पचौरी को शिकायती प्रार्थना पत्र दिया; लेकिन थाना प्रभारी रमाकांत पचौरी में मामले को हलके में लेकर कोई कार्रवाई नहीं की। अगले दिन ही उन्नाव में पत्रकार विजय गुप्ता की लाश मिली, जिसको देखते ही हड़कम्प मच गया और जिला पुलिस प्रशासन ने तेजी दिखाते हुए दो हत्यारोपियों को गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ में जुटी है। वहीं एक जाँच टीम गठित करके उन्नाव के लिए रवाना किया गया और तुरन्त ही जाँच के आदेश दिए।
इस मामले को लेकर कानपुर प्रेस क्लब और आइरा के पदाधिकारियों ने एसएसपी से बात की, तो एसएसपी अनंत देव तिवारी ने बताया कि हत्या के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिन्होंने हत्या की बात कबूल की है। राय पुरवा पुलिस बॉडी की शिनाख्त के लिए उन्नाव गई थी। वहीं कानपुर जर्नलिस्ट क्लब ने भी पत्रकार की हत्या को लेकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा और परिवार की आर्थिक मदद के लिए गुहार लगाई। हत्या के पहले थाना प्रभारी रमाकांत का कहना था कि विजय गुप्ता की यह मनगढ़ंत कहानी है, लेकिन विजय गुप्ता की हत्या की यह कहानी सच साबित हुई।
अब सवाल ये उठता है कि रायपुरवा थाना प्रभारी को सब जानकारी देने के बाद भी पुलिस ने मामले को संज्ञान में क्यों नही लिया? अगर रायपुरवा पुलिस इस मामले को संज्ञान में लेती तो शायद विजय गुप्ता जिन्दा होता! कानपुर के सभी पत्रकारों द्वारा दिवगंत पत्रकार विजय गुप्ता के तीन दिन पहले एक प्रार्थना पत्र देकर जान से मारने की धमकी के मामले में कार्यवाही न करके लापरवाही बरतनेवालों पर कार्यवाही की भी मांग की है।