सेवा से बाहर हो चुके युद्धपोत ‘विराट’ (INS Virat) के संग्रहालय बनने की उम्मीदें क्षीण पड़ने लगी हैं क्योंकि इसे तोड़ने के लिए खरीदने वाली कंपनी ने करीब तीन सप्ताह की प्रतीक्षा के बाद पोत को गुजरात के अलंग स्थित अपने कबाड़ (स्क्रैप) यार्ड की ओर ले जाना शुरू कर दिया है.
मुंबई की निजी कंपनी इनवीटेक मरीन कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड ने पिछले महीने ‘विराट’ को संग्रहालय में बदलने की इच्छा जताई थी लेकिन रक्षा मंत्रालय से इस संबंध में कंपनी को अब तक अनापत्ति प्रमाण पत्र (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) नहीं मिला है.
एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स लिमिटेड नाम की कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह बताया कि उसने रक्षा मंत्रालय से इस जहाज को खरीदने की अनुमति मांगी थी. उसका उद्देश्य इसे एक संग्रहालय में बदलने का है. इससे आम लोग और आने वाली पीढियां इसे देख सकेंगी.
एनविटेक ने बाद में श्रीराम ग्रुप से भी इसे 100 करोड़ रुपए का भुगतान कर खरीदना चाहा. लेकिन सरकार ने अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) देने से मना कर दिया. आज सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता कंपनी के वकील को सुनने के बाद मामले में नोटिस जारी कर दिया. कोर्ट ने यह भी कहा है कि फिलहाल INS विराट को नहीं तोड़ा जाएगा.