प्रख्यात आलोचक एवं मुंबई विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर करुणाशंकर उपाध्याय द्वारा संपादित ‘कुछ शब्द कुछ सपने ‘ का लोकार्पण प्रख्यात साहित्यकार चित्रामुद्गल के हाथों विश्व पुस्तक मेले, नई दिल्ली में सम्पन्न हुआ।इस अवसर पर श्रीमती चित्रामुद्गल ने कहा कि इस पुस्तक को देखकर मुझे राकेश मिश्र के ‘शब्दों का देश’ काव्य संग्रह को पढ़ने की उत्सुकता हो रही है। उसके बाद मैं अपनी प्रतिक्रिया दूंगी।
इस अवसर पर पुस्तक के संपादक प्रोफेसर करुणाशंकर उपाध्याय ने कहा कि वैसे तो दो दर्जन से अधिक आलेख ‘शब्दों के देश ‘पर आए थे, लेकिन हमने गुणवत्ता व स्तरीयता का ध्यान रखते हुए केवल 14 आलेखों को ही शामिल किया है।वरिष्ठ कवि राकेश मिश्र के ‘शब्दों का देश’ की कविताएँ अत्यंत उत्कृष्ट और जीवन जगत को उसके वैविध्यपूर्ण स्वरूप में प्रस्तुत करने वाली हैं और राकेश मिश्र ने हरेक कविता को बिंबों में प्रस्तुत किया हैं। इनकी सारी कविताएँ शब्द चित्र की तरह हैं जिससे उसपर चित्र बनाना भी सहज है। वरिष्ठ आलोचक डाॅ.ओम निश्चल ने राकेश मिश्र को समकालीन दौर का अतिशय महत्वपूर्ण कवि बतलाते हुए कहा कि शब्दों का देश में ग्राम्य जीवन को वैध सम्मान दिलाने का प्रयास हुआ है।यह पुस्तक ‘शब्दों का देश’ को समझने की दृष्टि देती है। कवि राकेश मिश्र ने अपनी रचना प्रक्रिया पर बात करते हुए कहा कि कविता कभी-कभार आती है और कई बार नहीं भी आती है। एक बेचैनी लिखवाती है और यदि तुरंत नहीं लिख पाया तो वह कविता निकल भी जाती है। इस कार्यक्रम का सफल संचालन प्रोफेसर दर्शन पाण्डेय ने किया। अंत में अनामिका प्रकाशन के निदेशक विनोद कुमार शुक्ल ने उपस्थित अतिथियों का आभार माना। इस अवसर पर अच्छी संख्या में रचनाकार, प्रोफेसर, शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित थे।