मुंबई: ८ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कमलेश पांडेय मेमोरियल स्कूल में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें तमाम महिला अभिभावकों, शिक्षिकाओं एवं बच्चों ने भाग लिया। इस अवसर पर महिलाओं के लिए विभिन्न खेल प्रतिस्पर्धा, सांकृतिक व मनोरंजक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
स्कूल के एक अभिभावक ने ऐसा समा बांधा की उपस्थिति सभी लोग मंत्र मुग्ध हो गए। स्कूल के ही एक अभिभावक ने महिलाओं के इतिहास पर अप्रतिम भाषण दिया जिसकी हॉल में उपस्थित सभी लोगों ने एक सुर में सराहना की और महिला दिवस को अविस्मरणीय बना दिया। इस अवसर पर विमलेश मिश्रा, नीतू सिंह, दराडे व खरात मैडम प्रमुख रुप से उपस्थित रहींअंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत कैसे हुई..?
- मीडिया रेपोर्ट्स के मुताबिक 1910 में क्लारा जेटकिन नाम की एक महिला ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बुनियाद रखी थी।
- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस या महिला दिवस, कामगारों के आंदोलन से निकला था, जिसे बाद में संयुक्त राष्ट्र ने भी सालाना जश्न के तौर पर मान्यता दी।
- इस दिन को ख़ास बनाने की शुरुआत आज से 115 बरस पहले यानी 1908 में तब हुई, जब क़रीब पंद्रह हज़ार महिलाओं ने न्यूयॉर्क शहर में एक परेड निकाली।
- उनकी मांग थी कि महिलाओं के काम के घंटे कम हों. तनख़्वाह अच्छी मिले और महिलाओं को वोट डालने का हक़ भी मिले।
- एक साल बाद अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का एलान किया. इसे अंतरराष्ट्रीय बनाने का ख़याल सबसे पहले क्लारा ज़ेटकिन नाम की एक महिला के ज़हन में आया था।
- क्लारा एक वामपंथी कार्यकर्ता थीं। वो महिलाओं के हक़ के लिए आवाज़ उठाती थीं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव, 1910 में डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दिया था।
यह भी देखें ➡