मुंबई: वाणिज्य और अर्थशास्त्र विभाग, मणिबेन नानावटी महिला महाविद्यालय, मुंबई ने भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली (ICSSR) तथा स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग, एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में एक द्विदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 28 – 29 सितंबर 2018 को किया गया। सम्मेलन का विषय था- “सेवा क्षेत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग: मेट्रो के बाहर”। इसके आयोजन में भारतीय आर्थिक एसोसिएशन (IEA) ने सहयोगी प्रायोजक की भूमिका निभाई।
इस सम्मेलन का उद्घाटन मणिबेन नानावटी महिला कॉलेज मुंबई की प्रधानाचार्या हर्षदा राठोड़, स्नातकोत्तर अर्थशास्त्र विभाग एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय की विभाग प्रमुख डॉ. रूबी ओझा, भारतीय आर्थिक एसोसिएशन (IEA) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर आर. रेड्डी तथा डॉ. डी. के. मदान ने संयुक्त रूप से किया। इस सत्र की मुख्य वक्ता थीं डॉ. पुष्पा वुड्स, निदेशक, वित्तीय शिक्षा तथा रिसर्च सेंटर न्यूजीलैंड से आई थीं। उन्होंने कहा कि वित्तीय शिक्षा का महत्व अब और अधिक बढ़ रहा है, जब लोगों के हाथ में अपना बैंक आ गया है। अब लोग बैंक से अधिक अपने मोबाइल और कंप्यूटर के द्वारा अपने आर्थिक लेन देन करते हैं। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए एसएनडीटी महिला विश्वविद्यालय, मुंबई की कुलसचिव डॉ. मीना कुटे ने कहा कि मेट्रो के बाहर के शहरों और ग्रामीण इलाकों में डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है और दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। इस सत्र में भारतीय आर्थिक एसोसिएशन (IEA) के प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया।
उद्घाटन सत्र के पश्चात अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पैनल डिस्कशन हुआ, जिसमें डॉ. अमर जसानी, डॉ. रावल, पुरब शाह, रंगा रेड्डी ने अपने-अपने क्षेत्र से संबंधित डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग उसकी समस्याएं तथा समाधान पर चर्चा की। उसके उपरांत सक्सेस स्टोरीज सेशन में बी. आर. वेंकटेश की अध्यक्षता में आदित्य पाटील व दीपाली मेहता ने अपनी सफलता पूर्ण अनुभव की कहानियां साझा कीं। इसके बाद प्रथम तकनीकी सत्र में नौ प्रपत्र पढ़े गए, जिसकी अध्यक्षता सचदेवा जर्नल आफ ग्लोबल इकोनामी के संपादक सचदेवा और रितु तिवारी ने की। दूसरे तकनीकी सत्र में डॉ. राजलक्ष्मी की अध्यक्षता में 8 लोगों ने अपने पत्र प्रस्तुत किए, जिनके बारे में अध्यक्षा ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
दूसरे दिन 29 सितंबर को प्रथम वैचारिक सत्र का प्रारंभ हुआ, जिसमें विद्वानों ने प्रपत्र पढ़े। पहला प्रपत्र था डॉ. संदीप पोद्दार का जो सीनियर रिसर्च डायरेक्टर, लिंकन यूनिवर्सिटी कॉलेज मलेशिया से आए थे। दूसरा पेपर रंगा रेड्डी आई. सी. ए. के वाइस प्रेसिडेंट का था। तीसरा प्रपत्र मुंबई विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सत्य नारायण ने प्रस्तुत किया। इस सम्मेलन में सदस्यों ने अपने क्षेत्रों से संबंधित डिजिटल सामग्री के उपयोग, उसकी समस्याओं तथा समाधान पर चर्चा की।
उसके उपरांत सक्सेज़् स्टोरीस सेशन में बी. आर. वेंकटेश की अध्यक्षता में आदित्य पाटिल, दीपाली मेहता ने अपनी सफलता की कहानियां साझा कीं। इसके बाद के सत्र में तीन स्टार्टअप शुरू करने वाले लोगों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए। इस सत्र की अध्यक्षता पीवी पॉलिटेक्निक के प्रिंसिपल डॉ. सचिन लड्ढा ने की, जिसमें अपने स्टार्टअप के बारे में अपने अनुभव साझा किए- शिवानी श्रॉफ़, ऋषिकेश मोदी तथा काजल आनंद ने। तीसरे तकनीकी सत्र में लगभग 10 विद्वानों ने अपने आलेखों का पाठ किया, जिसकी अध्यक्षता डॉ. ए. के. तोमर, आइईए के संयुक्त सचिव ने की।
आर्थिक जागरूकता आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है: डॉ. पुष्पा वुड्स
समापन सत्र की अध्यक्षता प्रो. पुष्पा वुड्स ने की, जिसमें जमना लाल बजाज प्रबंध संस्थान के निदेशक डॉ. सी. एस. चौहान ने अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के सम्मेलनों से आर्थिक जागरूकता आती है। न्यूज़ीलैंड की प्रो. पुष्पा वुड्स ने कहा कि आर्थिक जागरूकता आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। इसे मेट्रो शहरों से बाहर जाकर छोटे शहरों में भी देखने की ज़रूरत है। आज का दौर आर्थिक संतुलन बनाने और अपने पैसे पर अपना नियंत्रण बनने का है। यह समेलन इस दिशा में मील का पत्थर है। इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की रिपोर्ट प्रोफेसर रूबी ओझा ने प्रस्तुत की तथा डॉ. हर्षदा राठौड़ ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया। सम्मेलन का संयोजन प्रो. सुनीता शर्मा ने किया।