इंसान खुद लाचार और मजबूर नहीं हुआ है। हालात और समय ने अच्छे से अच्छे व्यक्तियों को अपनी चपेट में ले लिया है। असहायों को भोजन दो लेकिन उनका मजाक मत बनावो, उन्हें हालात के आगे शर्मिंदा न करो कल उनका भी वक्त अच्छा होगा। भोजन देकर फ़ोटो खीचना इंसानियत को शर्मसार करती है। भोजन का वितरण जरूर करें किंतु मानवता को बचाकर न कि उसे शर्मसार करके। आज पूरा विश्व कोरोना वायरस की चपेट में है, जो किसी युद्ध से कम नहीं है। इंसान हथियार से लड़ता है, तो बात समझ में आती है कि एक हारेगा और दूसरा जीतेगा। किसी एक कि जीत निश्चित होती है। परंतु आज विश्व के साथ-साथ हिंदुस्तान की स्थिति भी गंभीर बनी हुई है। इस बीच आम आदमी यानी गरीब मजदूर पूरी तरह से प्रभावित हुआ है। छोटे-मोटे उद्योग पूरी तरह से ठप्प पड़े है। सबसे ज्यादा प्रभावित सैलून व्यवसाय से जुड़े नाई समाज के स्वजातीय बंधु है, जो देश के हर राज्य में कोरोना वायरस की मार झेल रहे हैं, लेकिन कुछ नाई समाज के लोगों ने भी दुकाने बंद होने के बाद भी समाज कार्य के लिए अपने कदम बढ़ाएं है।
कोरोना से लड़ने के लिए सबसे बड़ा मंत्र है सामाजिक दूरी का पालन करना। जिससे हम सुरक्षित रह सके। हमारा बचाव ही हमारी पूंजी और संपत्ति है। इस संकट की घड़ी में सामाजिक संस्थाओं का बड़ा योग दान है। कुछ संस्था के संचालकों ने खुद के घर खर्च से गरीबो की मदद कर रहें हैं। आज मनुष्यों ने यह बता दिया कि मानव सेवा से बढ़कर कोई सेवा या धर्म नहीं है। मानवता ही सबसे बड़ी सेवा है। गरीबों को भोजन के लिए दो सगे भाइयों ने अपना खेत बेचकर इस मुसीबत में गरीब परिवार व दिहाड़ी मजदूरों का साथ दे रहे हैं। उन्हें वे दोनों भाई खुद अनाज और भोजन वितरित कर रहें हैं। ऐसे मानवता के पुजारी को शत-शत नमन है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के लिए हम उन गरीबों और असहायों की मदद कर सकते हैं जो इस महामारी से प्रभावित हुए है। आज वह दिन आ गया है। जब हम अपने एक वक्त के भोजन को कम करके दिहाड़ी व गरीब मजदूरों का पेट भर सके। जहां हम दो बार चाय, दो बार नाश्ता, दो बार भोजन करते हैं। यदि इनमें से एक वक्त का भी हम सब दान करते हैं तो वे गरीब और लाचार सब हमारे साथ तक जीवित रह सकते हैं। उन्हें भूखे पेट सोने की जरूरत ही नहीं आएगी। हम तो अपने घर में रहकर भी कुछ-न-कुछ खा कर अपना पेट भर सकते हैं। लेकिन वे कहाँ जाएं जिनका कोई ठिकाना ही नहीं है। याद करिए जब भूख की वजह से मानवता शर्मसार होती है, अपना ज़मीर, अपनी आत्मा भी हमें धिक्कारती है।
मेरा आपसे यही आग्रह है, विनंती है, और हाथ जोड़कर प्रार्थना है की मानवता को शर्मसार होने बचाने के लिए आपके सहयोग की आज आवश्यकता है। इस संकट की घड़ी में सहायता ही सबसे बड़ा त्याग है। एक साथ उठिए और सेवा का हाथ आगे बढ़ाए। जिससे कोरोना वायरस जैसे वैश्विक महामारी से हम अपने देश और देशवासियों को बचा सके। आपका एक कदम किसी की जिंदगी बचा सकता है। घर रहें, सुरक्षित रहें। आप कम से कम एक गरीब परिवार को भोजन जरूर कराएं।