हिंदी विभाग अवसरों का महासागर है – डाॅ.करुणाशंकर उपाध्‍याय

Mumbai university Hindi Department
  • डाॅ.करुणाशंकर उपाध्‍याय (प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई )

21वीं सदी तकनीकी कौशल और वैश्वीकरण की आंधी लेकर आई है।  इसका विश्व की भाषाओं पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है।  आज भाषाओं में जो तेजी से परिवर्तन हो रहा है, वह इतिहास में कभी नहीं हुआ। अब लुप्तप्राय भाषाओं को संरक्षित करने का समय आ गया है।  ऐसे में मुंबई विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग हिंदी भाषा एवं साहित्य के बहुमुखी विकास के लिए लगातार काम कर रहा है।  हिंदी आज दुनिया की नंबर एक भाषा है जिसे बोलने और समझने वालों की संख्या संपूर्ण विश्व में सर्वाधिक है। आज विभिन्न देशों में हिंदी सिखाई और पढ़ाई जाती है। हिंदी के वैश्विक प्रसार के लिए भारत सरकार ने मारीशस में विश्वहिंदी सचिवालय की स्थापना की है।आज हिंदी साहित्य और भाषा में पारंगत युवाओं के लिए रोजगार के विश्व स्तरीय अवसर हैं।  ऐसे माहौल में एक ओर जहां हिंदी विभाग रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम लागू कर रहा है वहीं दूसरी ओर हिंदी के लोकप्रिय एवं समाजोपयोगी पाठ्यक्रमों को लागू कर हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्य कर रहा है।

मुंबई विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग (Mumbai university Hindi Department) हिंदी भाषा  एवं साहित्य के प्रचार-प्रसार एवं विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है।  हिंदी विभाग की स्थापना १९७० में मुंबई विश्वविद्यालय के कालिना परिसर में हुई।  प्रारंभ में, विभाग में केवल एक प्रोफेसर के पद को मान्यता मिली थी। लेकिन वर्तमान समय में दस पदों को मान्यता मिली हुई है। आज विभाग में  एम.  ए., एम.फिल. और पीएच.डी. के  पाठ्यक्रम चल रहे हैं।  हिंदी विभाग ने अपनी स्थापना के समय से ही विभिन्न विषयों पर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों तथा सम्मेलनों का आयोजन किया है। विभाग ने प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों के लिए प्रबोधन एवं पुनश्चर्या कार्यक्रम, संकाय संवर्धन कार्यक्रम और छात्रों  के विकास के लिए बहुविध कार्यक्रम आयोजित किए  हैं।आज के  पचास साल पहले स्थापित किया गया विभाग आज बरगद का छतनार वृक्ष बन गया है।  विभाग की ओर से आज छात्रों और प्रोफेसरों के लिए अलग-अलग कोर्स चलाए जा रहे हैं.  विभाग ने स्नातकोत्तर अनुवाद डिप्लोमा-हिंदी-और विदेशियों के लिए  हिंदी प्रमाण पत्र जैसे नवोन्मेषी रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम भी आरंभ  किए।

Mumbai University Hindi Department
हिंदी विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा समय-समय पर अनेक उच्चस्तरीय कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है ..

हिंदी विभाग ने हमेशा पाठ्यक्रम को छात्रोन्मुख और रोजगारोन्मुख रखने का प्रयास किया है।  हिंदी अध्ययन मंडल द्वारा हर तीन साल में पाठ्यक्रम में बदलाव, परिष्करण  एवं संवर्धन किया जाता है।  इसमें महत्वपूर्ण और उपयोगी क्या है ? इसके संदर्भ में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के  निर्देशों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता है।हमने    सत्रांत, श्रेयांक एवं अयन पद्धति का समावेश बहुत पहले से कर दिया है।हिंदी  विभाग द्वारा शैक्षणिक सत्र 2019-20 से स्वीकृत एम.ए. का  पाठ्यक्रम विश्व स्तरीय है। इस समय कुल 11  प्रश्न पत्र  अनिवार्य तथा छात्रों की अभिरुचि और विषयगत  महत्व को देखते हुए अठारह वैकल्पिक प्रश्न पत्रों  को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। इस तरह एम.ए.  हिंदी का  पाठ्यक्रम बहुआयामी, बहुस्तरीय और रोजगारोन्मुखी है।  हमने शोध को बढ़ावा देने के लिए एक स्वतंत्र शोध परियोजना को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया है।  कुल मिलाकर एम. ए.  और एम.फिल.  का पाठ्यक्रम विश्व स्तरीय है और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है। उसके उद्देश्यों को चरितार्थ करने वाला है।

हिंदी विभाग की स्थापना के बाद से विभाग  प्रोफेसरों ने  इसे अपने ज्ञान और चिंतन से लाभान्वित किया है। डाॅ.सी.एल.प्रभात डॉ.  चंद्रकांत बांदीवाडेकर, डॉ.  रामजी तिवारी और वर्तमान विभागाध्यक्ष डॉ. करुणाशंकर उपाध्‍याय  जैसे आलोचकों एवं विद्वानों ने इसे कुशल नेतृत्व प्रदान किया है।  वर्तमान में विभाग में डॉ.  करुणाशंकर उपाध्याय, डॉ.  दत्तात्रेय मुरुमकर, डॉ.  हुबनाथ पाण्डेय, डाॅ.  सचिन गपाट और सुनील वल्वी हिंदी भाषा और साहित्य के क्षेत्र अपनी सक्रियता का परिचय दे रहे  हैं।  इसी के चलते हिन्दी विभाग द्वारा ज्ञानोन्मेष का आदर्श पर्यावरण उपस्थित किया  गया  है।  इससे  छात्र  लगातार लाभान्वित हो रहे हैं।

हमने पाठ्यक्रम में हिंदी,अनुवाद, जनसंचार माध्यम, पत्रकारिता, फिल्म-अध्ययन, मीडिया लेखन पाठ-लेखन, और स्त्री विमर्श, दलित साहित्य, भारतीय साहित्य,मराठी  संत साहित्य, विविध विमर्श और मराठी एवं उर्दू से अनूदित साहित्य को  सामाजिक चेतना एवं जागृति विकसित करने के उद्देश्य से शामिल किया   है। हमारा प्रयास अधिक से अधिक विद्यार्थियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिएहै।

आज विभाग के  कई पूर्व छात्र प्रोफेसर हैं जिन्होंने इस विभाग से पाठ्यक्रम का अध्ययन किया है। इनमें से कुछ विभिन्न विश्वविद्यालयों में विभाग प्रमुख भी बन गए हैं।  वे अनेक जगहों पर मीडिया और पत्रकारिता के क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं। इनमें से अनेक छात्र भारत सरकार के सरकारी कार्यालयों और महारत्न कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में राजभाषा अधिकारी के रूप में भी कार्यरत हैं।

हिंदी विभाग द्वारा शोध के लिए उपेक्षित विषयों को विशेष रूप से शामिल किया जाता है। एम.फिल.और पीएच –  डी  के लिए महत्वपूर्ण विषयों पर शोध सम्पन्न कराया जाता   है।आज  अनुसंधान के लिए आवश्यक सुविधाएं विभाग के पास उपलब्ध हैं।  कालीना परिसर में एक सुसज्जित और समृद्ध पुस्तकालय उपलब्ध है।अब शोधार्थियों को इंटरनेट  की सुविधा नि:शुल्क प्रदान की जा रही है। आज विभाग के पास विशेषज्ञ शोध निर्देशक  उपलब्ध हैं। इसलिए यहां पर विश्व स्तरीय शोध कार्य हो रहा  है। आज कई छात्र शोध के लिए विभिन्न छात्रवृत्तियां भी प्राप्त कर रहे हैं। इस तरह हिंदी विभाग अवसरों का महासागर है। आज हिंदी विभाग का पाठ्यक्रम देश के  सर्वश्रेष्ठ एवं अत्याधुनिक पाठ्यक्रमों  में से एक है।  यही कारण है कि छात्र हमेशा विभाग की ओर आकर्षित होते हैं। ऐसे अकादमिक रूप से समृद्ध वातावरण में छात्रों का हमेशा स्वागत है।हम उनके जीवन और भविष्य का निर्माण करते हैं। उन्हें एक परिपक्व व्यक्तित्व प्रदान  करके संतुलित नागरिक बनाते हैं जिससे वे देश एवं समाज के सर्वतोन्मुखी विकास में अपना सर्वोत्तम दे सके।

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