आनंदप्रकाश शर्मा | NavprabhatTimes.com
सेंट पीटर्स विद्यालय में “अपने प्रिय कवि से मिलिए” कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। आमंत्रित अतिथियों का स्वागत और परिचय पर्यवेक्षक सुनील माने ने दिया। कार्यक्रम के पहले सत्र में डॉ. जितेन्द्र पाण्डेय का सद्यः प्रकाशित यात्रा वृत्तांत “देखा जब स्वप्न सवेरे” का विमोचन संपन्न हुआ। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. विल्फ्रेड नरोन्हा थे। मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात आलोचक और मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय उपस्थित थे। डॉ. उपाध्याय ने हिंदी के वैश्विक सन्दर्भों को स्पष्ट करते हुए बताया कि आने वाला समय ‘हिंद’ और ‘हिंदी’ का होगा। अतः मुझे हिंदी को लेकर कोई खतरा महसूस नहीं होता। पुस्तक विमोचन के अवसर पर चर्चित जनवादी कवि हृदयेश मयंक ने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए अपनी एक गज़ल सुनाई-‘इज्ज़त न सही आप से नफरत तो मिली है। जैसे भी मिली है, हमको ये शोहरत मिली है।’
अध्यक्षीय भाषण में डॉ. विल्फ्रेड ने लोकप्रियता के पीछे कड़ी मेहनत की तरफ इशारा करते हुए पुस्तक के लेखक को बधाई दी। डॉ. नरोन्हा ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से छात्रों को लेखन के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। प्राचार्य राम नयन दूबे ने हिंदी के प्रति प्रधानाचार्य डॉ. विल्फ्रेड की सदाशयता की भूरि-भूरि प्रशंसा की। श्री दूबे ने कहा कि डॉ. पाण्डेय को साहित्य लेखन के साथ-साथ शिक्षा पर भी लिखना होगा। जल्दी ही इनके द्वारा लिखित एवं संपादित पुस्तकें छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल की जाएंगी।
प्राचार्य ऑगस्टीन ने पुस्तक के संदर्भ में बताया कि “देखा जब स्वप्न सवेरे” में लेखक ने बड़ी खूबसूरती से भारत का इतिहास, भूगोल, मूर्तिकला, चित्रकला, स्थापत्य, नृत्य संस्कृति आदि को उभारा है। दैनिक सकाळ के वरिष्ठ पत्रकार सुनील कांबले ने कहा कि हिंदी साहित्य में पहली बार किसी ने पंचगनी-महाबलेश्वर पर लिख कर यहां के पर्यटन को बढ़ावा दिया है। इसके लिए हमें गर्व है।
नवभारत टाइम्स के पत्रकार विजय पाण्डेय ने छात्रों से संवाद स्थापित करते हुए बताया कि कहीं भी जाएं अपना अनुभव अवश्य लिखना चाहिए । विद्यालय के माहौल को देखकर श्री पाण्डेय ने डॉ. उपाध्याय से कहा कि आप बाहर जाकर अवश्य बताना कि हिंदी पूर्णतः सुरक्षित है। मुंबई के जमनाबाई नरसी स्कूल की हिंदी विभागाध्यक्षा प्रतिभा मिश्रा ने अपने बंधु जितेन्द्र के पुस्तक की कुछ महत्त्वपूर्ण पंक्तियों को बतौर उदाहरण पेश किया। छात्रों से कुछ-न-कुछ लिखते रहने का वचन भी लिया। पुस्तक – आवरण के निर्माता श्रीकांत पोफले ने लेखक के साथ अपना अनुभव साझा किया। इसके अलावा सागर पाटिल और रोहन शेट्टी ने पुस्तक पर अपने-अपने विचार रखे।
कार्यक्रम का दूसरा चरण “अपने प्रिय कवि से मिलिए” पर केंद्रित था। इस अवसर पर पंचगनी के कई विद्यालय से आए छात्रों ने स्वरचित कविताएं सुनाईँ। पार्थ केलकर, आयुष पाठक, योगिराज लिपाने, आयुष डोबिवाला आदि छात्रों की कविताएं सराही गईं। सभी विद्यार्थियों को सहभागिता प्रमाणपत्र उनको प्रोत्साहित किया गया। बच्चों ने कवि हृदयेश से एक रोचक संवाद भी स्थापित किया। एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कवि हृदयेश मयंक ने बताया कि अपना अनुभव जब शब्दों में ढलता है, तो कविता बन जाती है। कविता लिखने के लिए विषय नहीं ढूंढ़ना पड़ता है। मयंक की गज़लों ने लोगों को झूमने के लिए मज़बूर कर दिया।
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में हिंदी कार्यशाला रखी गई थी। राम नयन दूबे और प्रतिभा मिश्रा के मार्गदर्शन में हिंदी के अध्यापकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। श्री दूबे ने कार्यशाला में बताया कि आई.सी.एस.सी द्वारा निर्मित पाठ्यक्रम के अनुसार पहली से आठवीं तक का हिंदी शिक्षण सभी विद्यालयों को करवाना चाहिए। इससे नौवीं और दसवीं की तैयारी स्वतः हो जाती है। हिंदी भाषा का शिक्षण बोर्ड के निर्देशानुसार अवश्य करें। कार्यशाला में बोर्ड के प्रश्नपत्रों पर व्यापक चर्चा की गई। मुंबई सेल मीटिंग के आयोजन की सार्थकता को भी पंचगनी में रेखांकित किया गया। कार्यक्रम का संचालन चन्द्रवदन आढाव और राम शेलके ने किया। प्रिया पायस ने आभार प्रदर्शन की औपचारिकी निभाई ।
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