‘वैश्विक परिदृश्य : प्रेमचंद्र साहित्य’ पर द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार

प्रेमचंद्र साहित्य

प्रख्यात कथाकार मुंशी प्रेमचंद की 140 वी जयंती पर हिंदी विभाग, कला, वाणिज्य व विज्ञान शासकीय महाविद्यालय सांखली, गोवा और राष्ट्रीय हिंदी पत्रिका ‘अनभै‘ के संयुक्त्त तत्त्वावधान में ‘वैश्विक परिदृश्य : प्रेमचंद साहित्य’ विषय पर द्विदिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार 31 जुलाई व 1अगस्त 2020 को आयोजित किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. से.फे.लि.जर्वासियो मेंडिस ने सभी विद्वानों का स्वागत किया।

प्रो. से.फे.लि. जर्वासियो मेंडिस, प्राचार्य, कला, वाणिज्य व विज्ञान शासकीय महाविद्यालय, सांखली, गोवा

विषय प्रवर्तन राष्ट्रीय पत्रिका ‘अनभै’ के संपादक प्रो. रतनकुमार पांडेय ने किया। विषय प्रवर्तन करते हुये प्रो. पाण्डेय ने वैश्विक परिदृश्य में प्रेमचंद के साहित्य के महत्व को प्रतिपादित करते हुए बताया कि किस तरह निजीकरण, उदारीकरण व भूमंडलीकरण आज के जीवन की सबसे बड़ी चुनौती बन गए हैं। कार्य क्रम का संचालन महाविद्यालय की हिंदी विभागाध्यक्षा प्रो. सोनिया सिरसाट ने किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष व हिंदी साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के समन्वयक प्रो. चित्तरंजन मिश्र थे।

अर्जुन चह्वाण
प्रो. अर्जुन चह्वाण, अध्यक्ष, हिंदी विभाग शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर

वेबिनार का पहला परिपत्र प्रो.अर्जुन चह्वाण ने ‘प्रेमचंद्र साहित्य में समता व समरसता’ पर पढ़ा और प्रेमचंद के साहित्य को समतावादी बताया। इसके बाद होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केन्द्र, मुंबई से डॉ. कृष्ण कुमार मिश्र ने ‘प्रेमचंद की कहानियों में बाजारवाद’ पर अपना अभिपत्र प्रस्तुत किया। डॉ. मिश्र ने बाजारवाद की अवधारणा को स्पस्ट करते हुए प्रेमचंद की कहानियों में बाजारवाद को व्याख्यायित किया। गोवा विश्वविद्यालय के कोंकणी विभाग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. चंद्रलेखा डिसूजा ने प्रेमचंद की कहानियों में सामाजिक यथार्थ पर अपना पत्र प्रस्तुत किया। मुंबई विश्वविद्यालय हिंदी विभाग में प्रोफेसर, डॉ.हूबनाथ पांडेय ने प्रेमचंद के साहित्य में शांति व सदभाव विषय पर अपना गंभीर वक्तव्य दिया। उन्होंने बताया कि साहित्यकार केवल मूल्यों के लिए मार्ग प्रशस्त करता है न कि स्वयं स्थापित करता है। इसके बाद प्रतिभागियों व विद्वानों ने चर्चा में भाग लिया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. सोनिया सिरसाट ने किया।

हूबनाथ पांडेय
प्रो. डॉ.हूबनाथ पांडेय, हिंदी विभाग, मुंबई विश्वविद्यालय

वेबिनार के दूसरे दिन मनोज बाला तिवारी, प्राचार्या, वी.एच.पी.ए., जॉर्जिया, अमेरिका ने ‘प्रेमचंद साहित्य  में मानवतावाद’ पर व्यापक चर्चा की व उनके साहित्य को मानवतावादी बताया। इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रोफेसर डॉ. शिव प्रताप शुक्ल ने ‘प्रेमचंद सहित्य में जीवन मूल्य‘ पर अपना अभिमत प्रस्तुत किया। प्रो.शुक्ल ने प्रेमचंद साहित्य के सन्दर्भ में भारतीय मूल्यों की व्यापक चर्चा की। डॉ.श्याम सुंदर पांडेय, टोकियो विश्विद्यालय ने ‘वैश्विक आपदा एवं प्रेमचंद साहित्य’ पर अपना अभिपत्र प्रस्तुत किया। अंतिम वक्ता प्रो. प्रतिभा मुदलियार, मैसूर विश्व विद्यालय ने ‘प्रेमचंद साहित्य में मानवतावाद’ विषय पर अपना अभिपत्र प्रस्तुत करते हुए उन्हें मानवतावादी साहित्यकार बताया।

मनोज बाला तिवारी
मनोज बाला तिवारी, प्राचार्या, वी.एच.पी.ए., जॉर्जिया, अमेरिका
श्याम सुंदर पाण्डेय
डॉ. श्याम सुंदर पाण्डेय, हिंदी प्रवक्ता, टोकियो विश्वविद्यालय, जापान

कार्यक्रम में प्रतिभागियों और वक्ता विद्वानों ने गंभीर परिचर्चा की। वेबिनार में बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के अंत मे प्रो. सोनिया सिरसाट ने धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने कार्यक्रम के संरक्षक उच्च शिक्षा निदेशक गोवा सरकार, प्राचार्य प्रो. से.फे.लि. जर्वासियो मेंडिस, कार्यक्रम के संयोजक डॉ. रतनकुमार पांडेय, अध्यक्ष, प्रो. चितरंजन मिश्र, सभी वक्ता विद्वानों, आयोजन में पूर्ण सहयोग के लिए डॉ.विक्रम आनंद व इंद्रकुमार विश्वकर्मा तथा कार्यक्रम में हिस्सा लेनेवाले सभी प्रतिभागियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।

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